राजसमंद। बारहवीं की उत्तर पुस्तिका की जांच में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कॉपी जांचने वाले की वजह से छात्रा को रिजल्ट आने तक पूरे तीन महीने सदमे में रहना पड़ा। मामला राजसमंद जिले में भीम स्थित मॉडर्न राज पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा भाग्यश्री बड़ोला का है।
जानकारी के अनुसार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की ओर से इस साल जारी किए गए बारहवीं कक्षा के रिजल्ट में राजसमंद जिले में एक छात्रा के इंग्लिश में मात्र 38 अंक आए थे, छात्रा इससे संतुष्ट नहीं थी और उसने री-काउंटिंग के लिए आवेदन कर दिया। दोबारा परिणाम आया तो उसके 50 अंक बढ़ गए और कुल 88 अंक हो गए। इस दौरान छात्रा सदमे रही।
0-थर्ड डिविजन मिलने से सदमे में आई छात्रा
जारी परिणाम में इंग्लिश विषय में 80 में से मात्र 18 अंक ही दिए। प्रैक्टिकल में 20 में से 20 अंक ही मिले। यानी 18+20=38 अंक दिए गए। इस विषय में छात्रा को थर्ड डिविजन मिला। परिणाम आने के बाद छात्रा सदमे में आ गई। उसे 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिलने की उम्मीद थी। बेटी को सदमे में देखकर अभिभावकों ने री-टोटलिंग के लिए आवेदन करवा दिया।
0-लड़की के पिता बोले, आंखें मूंदकर जांचते हैं कॉपियां
री टोटलिंग के बाद जारी परिणाम में छात्रा को 50 अंक ज्यादा मिले। यानी अब 38+50=88 हो गए। छात्रा भाग्यश्री ने बताया कि उसने कक्षा दसवीं में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। बारहवीं में इतने कम अंक आने पर वो सदमे में चली गई थी।
भाग्यश्री के पिता अरुण बड़ोला कहते हैं कि बेटी का रिजल्ट देखकर लगा कि बोर्ड ने आंखें मूंद कर कॉपियां जांची जाती हैं। इससे हर साल जाने कितने बच्चों का भविष्य खराब होता होगा। व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो परीक्षार्थियों का बोर्ड परीक्षाओं से भरोसा उठ जाएगा।