The Duniyadari: पंजाब और हरियाणा में लगाई जाने वाली खाप पंचायत जैसा एक फैसला इन दिनों उज्जैन में भी सुर्खियों में बना हुआ है. जिसे सर्व समाज की बैठक मे लिया गया है. इस फैसले के तहत एक परिवार के लोग समाज से बहिष्कृत हैं. बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है, परिवार के लोगों के बाल कटाने, खेतों में मजदूरी करने से लेकर इन्हें किसी भी कार्यक्रम में बुलाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर कोई व्यक्ति इस फैसले का उल्लंघन करता है तो उससे भी 51,000 रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा.
उज्जैन झलारिया पीर गांव में देव धर्मराज मंदिर में पूजा पुजारी पूनमचंद चौधरी और उनके परिवार के द्वारा की जाती है. पुजारी परिवार की आजीविका का साधन इस मंदिर की जमीन है. जहां पूरा परिवार खेती करता है और खुशहाली से रहता है, लेकिन पिछले काफी समय से गांव के लोग इस मंदिर को अन्य स्थान पर ले जाना चाहते है. बस पुजारी परिवार ने इसी बात का विरोध किया था, जो कि उन्हें इतना भारी पड़ा कि गांव में हुई सर्व समाज की बैठक के दौरान पूर्व पंचायत मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा ने बैठक में यह फैसला सुनाया की पुजारी पूनमचंद चौधरी और उनके बेटे मुकेश चौधरी के पूरे परिवार का समाज से बहिष्कार कर दिया गया है.
अब कोई ब्राह्मण उनके घर पूजा पाठ के लिए नहीं जाएगा. कोई नाई उनके परिवार की कटिंग नहीं करेगा. कोई मजदूर उनके लिए काम नहीं करेगा, शादी ब्याह और अन्य आयोजनों में ना तो इन्हें बुलाया जाएगा और ना ही यह इन आयोजनों में जा सकेंगे. गांव के स्कूलों में उनके बच्चों को पढ़ने नहीं दिया जाएगा और अगर कोई इन आदेशों का उल्लंघन करता है तो उससे 51,000 का जुर्माना भी वसूला जाएगा.
बच्चों को स्कूल से निकाला
इस मामले में पुजारी पूनमचंद चौधरी ने उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह को इस फैसले की जानकारी देने के साथ ही शिकायत दर्ज करवाई है. जिस पर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच की बात भी कही है. सर्व समाज की बैठक में लिए गए फैसले का सबसे ज्यादा असर पूनमचंद के परिवार के बच्चों पर देखने को मिला, जिसमें प्राइवेट स्कूल में कक्षा आठवी मे पढ़ने वाली संध्या, पांचवी में पढ़ने वाले सतीश और तीसरी में पढ़ने वाले विराट को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया.
जानें क्या है विवाद?
प्राचार्य ने मुनादी सुनने के बाद बच्चों को तत्काल स्कूल से निकाल दिया. बताया जाता है कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए लगभग 6 लाख का चंदा गांव वालों ने इकट्ठा किया है, लेकिन पुजारी मंदिर को अन्य स्थान पर ले जाने पर आपत्ति जता रहे थे. इसी कारण गांव वालों ने सर्व समाज की बैठक बुलाकर यह फैसला ले लिया. इस पूरे मामले में यह भी पता चला है कि यह पूरा मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है जिस पर अभी सुनवाई जारी है.