The Duniyadari : पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दोनों चरणों का मतदान अब पूरा हो चुका है। 6 नवंबर को पहले चरण में 121 सीटों पर और 11 नवंबर को दूसरे चरण में 122 सीटों पर वोटिंग हुई। राज्यभर में मतदाताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और दूसरे चरण में शाम 5 बजे तक करीब 67 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
यह चुनाव कई दृष्टियों से खास माना जा रहा है — क्योंकि इस बार मुकाबला केवल एनडीए बनाम महागठबंधन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने भी अपने पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरकर समीकरणों को दिलचस्प बना दिया।
दूसरे चरण में एनडीए का पलड़ा भारी
प्रारंभिक रुझानों और विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार, दूसरे चरण की 122 सीटों में से अधिकांश पर एनडीए बढ़त बनाते दिख रही है। भाजपा, जेडीयू, हम और एलजेपी (रामविलास) के गठजोड़ को स्पष्ट बहुमत की संभावना जताई जा रही है।
- भाजपा को करीब 50 से अधिक सीटों पर मजबूती मिलती दिख रही है।
- जेडीयू भी 40 से ऊपर सीटों पर अच्छी स्थिति में है।
- हम (Hindustani Awam Morcha) और एलजेपी (रामविलास) को कुछ अहम सीटों पर बढ़त मिल रही है।
महागठबंधन को झटका
राजद, कांग्रेस और वाम दलों की महागठबंधन इस बार पिछड़ती नजर आ रही है।
- तेजप्रताप यादव की महुआ सीट पर कड़ा मुकाबला है।
- कांग्रेस की मैथिली ठाकुर अलीनगर से संघर्षरत हैं।
- मुकेश सहनी (विकासशील इंसान पार्टी) का प्रदर्शन निराशाजनक बताया जा रहा है।
- कई वरिष्ठ नेताओं की सीटों पर भी अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
एग्जिट पोल का रुझान
अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल्स में एनडीए की वापसी के संकेत मिल रहे हैं।
- पीपुल्स पल्स ने एनडीए को 133–159 सीटों तक मिलने का अनुमान जताया है।
- मैट्रिज सर्वे ने इसे 147–167 सीटों तक बढ़ाया है।
महागठबंधन को 70–90 सीटों, जबकि जन सुराज पार्टी को 2–4 सीटों और AIMIM को अधिकतम एक सीट मिलने का अनुमान है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज – तीसरी ताकत के रूप में उभरती
इस चुनाव की सबसे दिलचस्प बात रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसने पहली बार चुनावी मैदान में उतरकर कई क्षेत्रों में मतदाताओं को प्रभावित किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही पार्टी को सीमित सीटें मिलें, लेकिन उसने सारण, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और सीवान जैसे जिलों में पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई है।
यह संकेत है कि बिहार की राजनीति में एक तीसरा विकल्प धीरे-धीरे आकार ले रहा है।












