भाजयुमो के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राहुल योगराज टिकरिहा पर गंभीर आरोप, परिवारिक विवाद ने पकड़ा तूल

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The Duniyadari : नेतृत्व पर उठे सवाल: युवा मोर्चा प्रमुख पर लगे आरोप से पार्टी असहज
 छत्तीसगढ़ की राजनीति इस वक्त एक नए विवाद से हिल चुकी है। भारतीय जनता युवा मोर्चा के हाल ही में नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राहुल योगराज टिकरिहा पर उनके ही नज़दीकी रिश्तेदार ने निजी जीवन से जुड़े गंभीर आरोप जड़ दिए हैं। मामला सामने आते ही सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।

रिश्तेदार का आरोप – “परिवार टूटा”

राहुल टिकरिहा के चाचा रविकांत टिकरिहा ने समाज के पदाधिकारियों को दिए अपने पत्र में लिखा है कि राहुल के कथित निजी संबंधों ने उनके घर-परिवार को संकट में डाल दिया। उनका कहना है कि इस घटना से उनका घरेलू जीवन अस्त-व्यस्त हो गया और पारिवारिक रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए। उन्होंने समाज से अपील की है कि इस तरह की हरकतों पर रोक लगाने के लिए कड़ा कदम उठाया जाए, ताकि पूरे समाज की गरिमा बनी रहे।

ऑडियो क्लिप से बढ़ा विवाद

इस विवाद को और हवा तब मिली जब सोशल मीडिया पर लगभग 18 मिनट लंबा एक ऑडियो क्लिप और शिकायत पत्र वायरल हो गया। हालांकि इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि अब तक किसी आधिकारिक स्तर पर नहीं हुई है, लेकिन इंटरनेट पर इसे लेकर जमकर बहस छिड़ गई है।

किसी ने इसे भाजपा संगठन पर धब्बा बताया, तो किसी ने कहा कि यह एक राजनीतिक चाल है, जिसे राहुल की नियुक्ति के बाद दोबारा उभारा जा रहा है।

पुलिस पर सवाल

रविकांत टिकरिहा का आरोप है कि उन्होंने इस मामले को पुलिस तक पहुँचाया, लेकिन राहुल के राजनीतिक प्रभाव के कारण स्थानीय थाने ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। इस निष्क्रियता ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि यदि समय रहते पुलिस ने कदम उठाया होता तो मामला इतना बड़ा रूप नहीं लेता।

राहुल की चुप्पी, करीबी दे रहे सफाई

राहुल टिकरिहा अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन उनके नज़दीकी सहयोगियों का कहना है कि यह विवाद पुराना है और इस पर न्यायालय पहले ही उन्हें राहत दे चुका है। समर्थकों का दावा है कि राहुल ने सारे आवश्यक कागजात पार्टी नेतृत्व के पास जमा कर दिए हैं और संभव है कि जल्द ही मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष स्पष्ट करें।

भाजपा की चुप्पी और विपक्ष का हमला

भाजपा या भाजयुमो की ओर से इस पूरे विवाद पर अब तक कोई बयान जारी नहीं हुआ है। इसी खामोशी ने विपक्ष को मौका दिया है और वे भाजपा की “नैतिकता” तथा नेतृत्व चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

सियासी असर की आशंका

विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे समय में जब भाजपा प्रदेश में नक्सल समस्या, बेहतर शासन और युवा नेतृत्व की बात कर रही है, उस दौरान संगठन के युवा मोर्चा प्रमुख पर आरोप लगना पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। यदि पार्टी ने इस मुद्दे को संभालने में देर की तो यह विवाद लंबे समय तक उसकी छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।