मंत्री नेता कर रहे सूर्य नमस्कार,सर मुड़ाते पड़े ओले…हाईमास्ट लाइट और फाइट,दुर्घटना का बढ़ता ग्राफ…माथे पर लगेगा चंदन

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आसन पर सरकार…मंत्री नेता कर रहे सूर्य नमस्कार

इस हकीकत से भला कोई कैसे इन्कार कर सकता है कि सूरज के बिना दुनिया किसी काम की नहीं…। सूरज तो सूरज है हर एक की जरूरत है….फिर इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो समुंदर से उगता है या फिर कोयले की खदान से…..। सभी को अपने अपने हिस्से की रोशनी से मतलब है तभी तो सत्ता के आसन पर बैठी सरकार के मंत्री नेता सभी सूर्य नमस्कार करते नहीं थकते।

अब छत्तीसगढ़ के सूर्य को ही ले लिजिए जो हाल ही में आई टी के छापेमारी के बाद पूरे प्रदेश में छा हुए हैं। ऐसा नहीं है कि वो पहली बार छाए हैं…पहले भी वो छाए ही हुए थे मगर तब उन पर सत्ता की बदली छाई हुई थी तो नेता मंत्री के अलावा हर किसी को दिखाई नहीं देते थे। वो तो भला हो आई टी का जिसने पूरे प्रदेश में सूर्य की रोशनी को छाने का मौका दे दिया।

आज ही आई टी के मारे ‘नेता कम’ ‘कारोबारी ज्यादा’ सूर्यकांत तिवारी जी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें उन्होंने सीधे सीधे आरोप लगाया कि आई टी के अफसर उन्हें छत्तीसगढ़ का सीएम बनवा देने का आफर दे रहे थे, यानि वो अपने तेज से सरकार को भी सूर्य नमस्कार करवा सकते हैं।

उनका वीडियो क्या आया पूरे प्रदेश में बयान बाजी की लपटें उठनी लगीं….नेता मंत्री सभी उसमें तपने लगे…। आई टी के रेडार पर आए सूर्यकांत वीडियो में जिस तरह से बयान दे रहे थे उसमें कुछ कुछ तो पब्लिक समझ रही है मगर जिस तरह से बयानबाजी आ रही है उससे तो साफ  है कि अब नेता और मंत्री दूर से ही सूर्य नमस्कार करने वाले हैं।

सर मुड़ाते पड़े ओले…

हाल ही में हुए आईपीएस ट्रांसफर से जिले के कुछ थानेदारों को जोर का झटका लगा है। पहले मौखिक आदेश में यानी ट्रायल बेस पर थानेदारी किया और जब पुराने डेट पर आदेश निकला तो साहब का ट्रांसफर हो गया। यानी सर मुड़ाते ही ओले पड़ गए। अब करें भी क्या जिनका सर पर हाथ था वो तो दूसरे जिला चले गए, अब होगा क्या थाना मिलेगा या लाइन…

इसी बात को लेकर थानेदारों की टेंशन बढ़ गई है। वैसे आने वाले साहब भी बड़े दयालु किस्म के हैं। शायद दिल पसीज जाए और जो जिस थाने में है वहीं रहे! हां ये बात अलग है कि जिले के चुलबुल पांडे टाइप थानेदार नए साहब से नजदीकी तलाशने में लगे हैं। ताकि, समय पर सिफारिश भी कराया जा सकें। एक बात की और चर्चा जोरों पर है कि विभाग के एक उच्च अधिकारी तो रायगढ़ में उनके साथ कदमताल कर चुकें हैं। तो जिले के कुछ कामों के लिए उन्हें फ्री हैंड मिलने के चांस बढ़ गए हैं। वैसे तो अवैध कारोबारी भी नए साहब के पसंद नापंसद को सर्च कर सम्बंध जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि साहब अभी वनली पुलिसिंग करने के मूड रहेंगे सो सम्बन्ध बनाने और खास  बनने से कोई काम नहीं होगा।

हाईमास्ट लाइट और फाइट
जिले में अंधा बांटे रेवड़ी चुन चुन कर दे.. वाली कहावत ग्रामीण अंचलों में  हाईमास्ट लाइट लगाने का काम में एक दम सटीक साबित हो रही है। हां ये बात अलग है कि अब जनप्रतिनिधियों और सप्लायरों के बीच फाइट शुरू हो गई है। कहा तो यह भी जा रहा है जिस खंभेनुमा लोहे के पाइप पर लाइट लटकाया गया है वो इतने मजबूत भी नहीं है साल दो साल खड़े रहें। खैर अधिकारियों की भी तो यही मंशा है काम बनता अपना तो…. जनता !
खबरीलाल की माने तो ये सब ट्रायबल विभाग के एक तिकड़मी अधिकारी की शह पर हुआ है और माइनिंग फण्ड का जमकर दुरुपयोग किया गया है। शहर में किसी को कानों कान खबर न हो इसके लिए बाकायदा दूसरे जिले के सप्लायरों से प्रोजेक्ट बनाकर सेंक्शन राशि जनपदों को भेजा गया। जिससे जनपद के अधिकारियों पर दबाव बनाकर चेक कटवाया जा सके।
हुआ भी यही हाल के कुछ दिनों में दूरस्थ अंचल जनपद के बाबू नाइट हाल्ट कर चेक संग्रहण किए हैं। जब राशि जनपद के खाते में आई तो पंचायत सरपंचों के खाते में राशि डालकर सप्लायरों तक राशि महज एक सप्ताह में ट्रांसफर किया गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि ट्रायबल के अधिकारी घर में ताला लगाकर अंदर बैठकर काम को अंजाम दे दिया। तभी तो चर्चा हो रही कि नए साहब के आने से पहले ही डीएमएफ में झाड़ू लग गया है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और दुर्घटना का बढ़ता ग्राफ…

एशिया की शान कहे जाने कोयला खदान में बढ़ते दुर्घटना ग्राफ ने सेफ्टी पर खर्च हो रहे भारी भरकम राशि का पोल खोल दी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सेफ्टी के नाम पर कई तरह के आयोजन, प्रयोजन और सेफ्टी सामग्री की खरीदी की जाती है पर असल मे वो सिर्फ कागजों पर सिमट कर  रह जाती है।

जिस हाईटेक मशीनरी का कोयला उत्पादन में उपयोग हो रहा है उसके मुलाबले श्रमवीरो कों मिलने सुरक्षा नगण्य है। विभागीय एक्सीडेंटल ग्राफ की बात  करें तो साल 2021 में  1 जनवरी से 30 जून तक 33 श्रमवीर खान दुर्घटना के शिकार हुए थे। ये आंकड़ा साल 2022 में बढ़कर 36 हो गया है। मतलब साफ है जिस अनुपात में एक्सीडेंट की घटना बढ़ रही है उसके मुकाबले में सेफ्टी के संसाधन उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। अब बात करें खर्चे की तो कंपनी कर्मचारियों की सुरक्षा पर जो खर्चा पहले करती थी वो बढ़कर दोगुना हो गया है, पर आज भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की वजह से श्रमवीर असमय जान गंवा रहे हैं।

घिसे हुए के माथे पर लगेगा चंदन !!..अब होगा न्याय 

राज की नीति को तलाशने एक युवा नेता पिछले दिनों ऊर्जानगरी आए और कुछ नेताओं से मिलकर उनकी कार्य प्रणाली को समझने का प्रयास किया। हालांकि नेता जी का दौरा पार्टी से ज्यादा सामाजिक रंग में रंग गया था। खैर इससे क्या…जिसके लिए उन्हें भेजा गया था वो काम तो करना ही था। सो किए..किए भी तो कुछ नेताओं के घर जाकर उनकी नब्ज टटोली और कुछ को बुलाकर उनकी सोच को समझने का प्रयास किया।

पर उनके जाते ही शहर के युवाओं में इस बात की चर्चा जमकर हो रही है कि आखिर चुनावी मूवमेंट में किसे कमान मिलेगी। मतलब साफ है आखिर शहर के किस युवा नेता को चंदन लगेगा ? यक्ष प्रश्न यह भी है कि जो लोग बरसों से घिसकर या कहें तपकर कुंदन हो गए हैं उनका क्या होगा.. क्या ” अब होगा न्याय “!!

न्याय हो या नहीं हो, यह एक अलग विषय है लेकिन, समझदार कह रहे हैं नासमझी में ही समझदारी है।

       ✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा