यहां तीन सालों में 40 हजार बच्चों ने छोड़ दिए स्कूल, ड्राप आउट में 10वीं-12वीं क्लास के छात्र सबसे आगे

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बीते 3 सालों में 40 हजार बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं। इसमें प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक के बच्चे शामिल हैं। बच्चों की लगातार पढ़ाई छोड़ने की वजहों को लेकर शिक्षा विभाग के पास कोई उचित जवाब नहीं है। राइट टू एजुकेशन एक्ट लागू होने के बावजूद भी प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई में बच्चों को जोड़े रखने में शिक्षक कामयाब नहीं हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की वेबसाइट यूनिफाइड डिस्टिक इनफॉरमेशन सिस्टम से मिले आंकड़ों के मुताबिक बस्तर जिले में बीते 3 सालों में करीब 2 हजार बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी है। जबकि पूरे बस्तर संभाग में यह आंकड़ा 40 हजार के करीब है।

प्राथमिक कक्षाओं के 12 हजार 256 बच्चों ने स्कूल छोड़ा है। जबकि माध्यमिक कक्षा में 13 हजार 495 बच्चे शिक्षा से दूर हो चुके हैं। 10वीं और 12वीं क्लास में भी बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई छोड़कर ड्रॉप आउट की श्रेणी में है।

नक्सल प्रभावित इलाकों में भी बंद पड़े स्कूलों को खोलने के दावे किए जाते हैं। इन क्षेत्रों में पोटा केबिन कस्तूरबा आश्रम जैसी सुविधाएं संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही जिला स्तर पर केंद्रीय विद्यालय आत्मानंद स्कूल खोले जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों के स्कूल छोड़ने के आंकड़े प्रशासनिक तैयारियों पर सवालिया निशान उठाते हैं। अंदरूनी इलाकों में अभी हालात ऐसे हैं कि शिक्षक महीनों स्कूल नहीं जाते जिसकी वजह से छात्र रोजाना पढ़ाई नहीं कर रहे है। कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा छात्रों ने स्कूल छोड़ा है। छत्तीसगढ़ में 2020-21 में जहां बच्चों का ड्रॉपआउट रेट 13.4% था वहीं साल 2019-20 में यह 18 प्रतिशत था।

क्या कहना है अधिकारियों का
एरेस चौहान , जेडी शिक्षा विभाग, बस्तर संभाग का कहना है की सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से ड्रॉपआउट के बारे में बैठक की गई और उनसे जानकारी मांगी गई है। एक सर्वे कराया जा रहा है लेकिन अभी मिली जानकारी के अनुसार 41 हजार बच्चों ने ड्रॉपआउट किया है। बच्चों की स्कूल लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम में चलाए जा रहे हैं। अभिभावकों को भी यह संदेश दिया जा रहा है कि अपने बच्चों को स्कूल भेजें। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वास्तविक संख्या की जानकारी दें।
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