राजधानी में दिखी धुमकुड़िया उरांव आदिवासियों की वेशभूषा, भाषा और संस्कृति की झलक..आशिका कुजूर को किया गया सम्मानित…

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0 विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी रायपुर में समाज की प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन। संस्कृति के संवर्धन पर किया विचार-मंथन।

 

रायपुर। धुमकुड़िया उरांव आदिवासियों ने राजधानी रायपुर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर उनकी वेशभूषा, भाषा वी संस्कृति की सुंदर झलक देखने को मिली। राजनीति में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली समाज की युवा व भारत यात्री आशिका को सम्मानित किया गया। पूर्वजों को याद करते हुए आदिवासी सभ्यता और संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में प्रयास सुनिश्चित करने पर मंथन किया गया।

विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में “धुमकुड़िया” उरांव आदिवासी युवा समाज के द्वारा रायपुर के अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम में प्रदेश स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विशेष रूप से आदिवासी वेश भूषा, नित्य, संगीत, भाषा इत्यादि हेतु प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता में प्रदेश के विभिन्न जिलों से सैकड़ों आदिवासियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। पूर्वजों को याद करते हुए कार्यक्रम में आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को कैसे संरक्षित करना है इस पर मंथन किया गया।

सांस्कृतिक आयोजन का मुख्य विषय “आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रतिनिधि के रूप में आदिवासी युवा” पर मंथन किया गया एवम विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी समाज का नाम रोशन करने वाले युवाओं को धुमकुडिया के मंच पर सम्मानित किया गया। राजनीतिक क्षेत्र में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए जशपुर जिले की जनपद पंचायत सभापति एवम राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पूर्णकालीन भारत यात्री रही आशिका कुजूर को धुमकुडिया के मंच पर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश सचिव रायपुर के अजय कुजूर को भी राजनीतिक क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

 

धुमकुडिया के प्रतिनिधि मनीष टोप्पो के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मनीष ने बताया कि हर साल वो इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिससे समाज के युवाओं में अपनी संस्कृति के प्रति रुचि जागृत हो सके और वो अपने आदिवासी रहन सहन वेशभूषा व भाषा से परिचित हो सकें। कार्यक्रम की वेशभूषा पूर्व निर्धारित थी जिसमें महिलाओं एवम बच्चों ने मोठिया साड़ी पहनी और पुरुषों ने धोती कुर्ता के साथ गमछा पहना। समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए आदिवासी दिवस पर सम्मनित किया गया।