जिला पंचायत में कसावट लाने हो सचिव ट्रांसफर के महाभियान से सचिवों का भरतनाट्यम शुरू हो गया है। हालांकि नेतानुमा सचिवों को थर्ड फेस तक इसीलिए ट्रांसफर से दूर रखा गया है ताकि खेत से खरपतवार आसानी से निकाला जा सके। अब जब चौथी लिस्ट निकालने की सुगबुगाहट शुरू हुई है तो लंबे समय से एक पंचायत में रहकर सरकारी फंड को चट करने वाले सचिव जिला पंचायत के इर्द गिर्द घुमघुमकर भरतनाट्यम करने लगे हैं।
खबरीलाल की माने तो सचिव जमा जमाया पंचायत को छोड़ने तैयार नहीं हैं इसके लिए किसी हद तक अफसरों नेताओं का चरण स्पर्श करने तैयार हो गए हैं। ट्रांसफर महाअभियान के बाद कुछ और नाम संभावित सूची के राडार में हैं। मतलब साफ है पंचायत सचिवों का भरतनाट्यम से कुछ सेटिंगबाज अधिकारियों की भी बल्ले बल्ले है, जो ट्रांसफर को प्रभावित करने का दम भर रहे है।
चर्चा तो यह भी हैं पाली और पोड़ी ब्लाक के सचिवों की लाइजनिंग के लिए एक जनप्रतिनिधि सक्रिय हैं जो किसे कहां भेजना है का प्लान तैयार करने का काम कर रहे हैं। बहरहाल जिला अधिकारी के ट्रांसफर महाभियान की आंच ऐसे नेतानुमा सचिवों पर पहुंच पाती है कि नहीं यह तो देखने वाली बता होगी , पर लिस्ट निकलने में हो रही देरी से सेटिंग की चर्चा जोरों पर है।
जंगल में ड्यूटी और नगर में हंगामा…
जंगल में ड्यूटी कर रहे जवान को एकाएक नगर के एक महिला अधिकारी का ड्राइवर बनाना महकमे में हंगामा मचा रहा है। दरअसल लंबे समय से दूरस्थ अंचल में काम करने वाले पुलिस जवानों को आस लगी है कि कब वे शहर जाएं। पर यहां तो शहर में ड्यूटी करने के लिए अधिकारियों का खास बनना पड़ता है। काबिलियत कुछ मायने नहीं रखती !
तभी तो कुछ दिन पहले दर्री अनुविभाग में तैनात महिला अधिकारी के ड्राइवर की करतला पोस्टिंग हुई थी, जनाब कुछ दिनों तक तो जंगल मे ड्यूटी किये अब उनकी धमक नगर यानी दर्री मूल पद पर हो गई है। मतलब साफ हैं विभाग में काम करने वालों का मिजाज अगर अधिकारियों को खुश करने का है तो गारंटी है मनचाही पोस्टिंग की।
पुलिस महकमे में चल रहे चमचावाद से ईमानदारी पूर्वक काम कर रहे पुलिस जवानों का हौसला टूटता दिख रहा हैं। वैसे छत्तीसगढ़ीहा आइकॉन कहे जाने वाले कप्तान को कोई तो मिसगाइड कर रहा है यानि वो विभाग के अंदरखाने की खबर का गलत ढंग से प्रेजेंटेशन कर रहा हैं। यानि अपना काम बनता तो क्यों देंखे जनता… की तर्ज पर काम चल रहा है।
विभाग की ठेकेदारी, रिजल्ट पर भारी…
कहते हैं विद्या मंदिर है कोई बाजार नहीं, पर ट्राइबल जिला कोरबा की बात ही निराली हैं। शिक्षा के गिरते स्तर पर भले ही चिंतन न हो पर ये बात सच है कि जब से विभाग ठेकेदारी कर रहा है तब से रिजल्ट पर शिक्षकों की अध्यापन भारी पड़ रहा है। अब हम यहां आपको विभाग की ठेकेदारी बताते है पूर्व डीईओ जब आये और बोल बच्चन की तरह बातें कर सरकारी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की नई.नई तरकीब बनाये और फंड लेकर खुद स्कूलों में फर्नीचर, व्हाइट बोर्ड, ब्लैक बोर्ड के साथ स्मार्ट क्लास रूम के लिए प्रोजेक्टर लगाकर हाईटेक शिक्षा पद्धति से जोड़ने करोड़ो फूंके डाले पर रिजल्ट सामने हैं। 10 वीं और 12 वीं का रिजल्ट आया तो चर्चा इस बात की शुरू हो गई है और लोग कहने लगें है कि जब शिक्षा विभाग ठेकेदार बन गए तो पढ़ाई की उम्मीद करना बेमानी होंगी।
शिक्षा विभाग पोस्टिंग अटैचमेंट के मलाई वाले खेल में उलझकर रह गया है। वैसे विभाग के एक सेकेंड लाइन वाले अधिकारी के मैनेजमेंट की चर्चा जमकर हो रही हैं। ये वही अधिकारी है जो पूर्व डीईओ के जमाने में गाना गुनगुनाते थे मुझे रहने का शौक नहीं, ड्यूटी कर रहा हूं टाइम पास के लिए!
प्रदेश नेताओं का ट्वीट, लोकल लीडर गए पिट
जिले के एक लेटर बम के बाद प्रदेश भाजपा नेताओं ने ट्वीटर पर ट्वीट कर सरकार को घेरने का प्रयास किया, जबकि भाजपा के लोकल लीडर इस मामले को भुनाने में पीछे रह गए। भाजपा के कुनबा में जिस कदर बिखराव दिख रहा है उससे प्रदेश प्रभारी डी पुनदेश्वरी का हंटर चलना तय माना जा रहा है। वैसे तो भाजपा के दिग्गज नेता अपना पुराना कमाया हुआ माल बचाने की जुगत में हैं। मतलब कोरबा भाजपा की नेतागिरी अपना काम बनता तो….. जनता, वाली हो चली है।
जब दिग्गज नेताओं का कार्यक्रम रहता है तो भाजपा के कई गुट फ्लेक्स से लेकर कार्यक्रम में नजर आते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि भाजपा जिला नेतृत्व पार्टी के नेताओं को एकजुट करने में नाकाम रहा है। हालांकि जब राज्य सभा सांसद कोरबा मीटिंग लेने पहुंचे तो उन्हें एकजुटता का भरोसा दिलाया गया। मगर शहर में लगने वाले पोस्टर बैनर पर नजर डाले तो कुनबा में बिखराव स्पष्ट झलकता है।
राज और भाग
कहावत है अगर भाग्य में राज करना लिखा तो राजा बनते देर नहीं लगती, ये बात छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के दो नेताओं पर तो पूरी तरह लागू होती है। अब पूर्व सीएम अजीत जोगी को ही ले लो….शुक्ल बंधुओं के पास विधायकों का बहुमत होने के बाद वो मुख्यमंत्री बन गए। यहीं बात कका भूपेश बघेल पर भी लागू होती है कुंडली में राजयोग था और वो सभी को पीछे छोड़कर मुख्यमंत्री बन गए।
और जब राज की बात हो रही है तो राज्यसभा की बात भी कर लें। विधानसभा अध्यक्ष व कोरबा के पूर्व सांसद चरणदास महंत अब राज्य सभा में जाना चाहते हैं, महंत राज्यसभा की राजनीति करने को अपनी अंतिम इच्छा बता चुके हैं। अब कोई महंत को कैसे समझाए कि राज के लिए भाग्य जरूरी है। इसमें इच्छा की नहीं चलने वाली। राज तभी मिलेगा जब भाग्य साथ हो और आज के हालत में भाग्य भूपेश बघेल के साथ है तो….आपकी इच्छा भी वही पूरी कर सकते हैं। तो अगले महीने का इंतजार करें क्योंकि अगले महीने राज्य सभा की दो सीटों के लिए चुनाव होने हैं। और देखें उनका भाग्य कहां तक साथ देता है। तब तक कुंडली विचरवाने में कोई हर्ज नहीं है।
The Duniyadari: रायपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन के कमजोर परफार्मेस और पदाधिकारियों की निष्क्रियता का मुद्दा फिर गरमाने की आशंका है. प्रभारी महासचिव सचिन पायलट...