रामपुर के मैदान में उतरे सरकार को अदालत के कटघरे में कैद करने वाले जननेता ननकीराम

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0 चुनाव मैदान में पूर्व गृह मंत्री और जिले के कद्दावर नेता कंवर

कोरबा। रामपुर विधानसभा से आदिवासी समुदाय और भाजपा की प्रखर आवाज रहे जन नेता ननकी राम कंवर एक बार चुनाव मैदान में हैं। अपने राजनीतिक करियर में हमेशा से मुखर और कद्दावर जनप्रतिनिधि की भूमिका निभाने वाले कंवर ने जनहित के लिए कभी अपने पराए में फर्क न किया और गलत की खिलाफत करने सदैव आंदोलन के लिए तत्पर रहे। वे एक ऐसे जनप्रतिंधी भी हैं, जिन्होंने विपक्ष में रहकर भी सरकार की नींद उड़ाई और भूपेश सरकार अदालत के कटघरे में कैद होने मजबूर कर दिया।

जिले की राजनीति में ननकी राम कंवर का स्थान सबसे ऊंचा है। ननकी राम चाहे पद में रहे या ना रहे मगर आम लोगों के बीच उनकी पहुंच हमेशा रहती है। बड़ी ही सरलता और सहजता के साथ लोगों से मिलना और उनकी समस्याओं और दुख को दूर करने का प्रयास यही ननकी राम कंवर की खासियत है। ननकी राम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन्हें इतनी ज्यादा तवज्जो देते थे। मगर जब जनहित की बात आई, तो उन्होंने हाई कोर्ट जाने में थोड़ी भी देर नहीं लगाई। एक मंत्री समझते थे, कि ननकी राम उनकी जेब में है और जब जैसा चाहेंगे उपयोग कर लेंगे मगर ननकी राम ने उनके गलत निर्णय का हमेशा खुलकर विरोध किया यह साहस राजनीति में अगर आपको कोरबा जिले में कहीं दिखाई देगा तो वह ननकी राम कंवर में ही। ननकी राम 5 दशकों से रामपुर विधानसभा के माध्यम से कोरबा जिले के जन-जन से जुड़े हुए हैं और एक सार्वजनिक व्यक्ति होने के नाते कोरबा जिले के हित में भूमिका निभाने से कभी भी पीछे नहीं रहते। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है सृष्टि मेडिकल की परिकल्पना करना और उसे साकार करना। एक बार फिर ननकी राम रामपुर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बनकर सामने हैं और उन्हें जो लोगों का प्यार सम्मान मिल रहा है वह बेमिसाल है। सबसे बड़ी बात यह है कि अबकी बार रामपुर में ननकी राम के समक्ष कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के परिवार से कोई भी मैदान में नहीं है जिससे उनकी विजय पहले दिन से ही स्पष्ट दिखाई दे रही है। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अबकी बार एक ऐसा इतिहास बनने जा रहा है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है । गृहमंत्री के रूप में हों, वन मंत्री, कृषि मंत्री खाद्य मंत्री के रूप में दायित्व उन्होंने जो काम किया है वह क्षेत्र के लोग कभी भूल नहीं सकते। इस समाचार बुलेटिन में हम अपने पाठकों को यह बताना चाहते हैं कि ननकी राम ने कभी भी सिद्धांतों को साथ समझौता नहीं किया या उनकी सबसे बड़ी खूबी है सभी जानते हैं कि जब 2018 में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार हुई और मुख्यमंत्री के रूप में भुपेश बघेल आए तो उनके संबंध ननकी राम से बहुत ही खास थे। ननकी राम की हर बात को भूपेश बघेल आंख बंद करके स्वीकृति दिया करते थे। मगर जब जनता के हित का मामला सामने आया तो उन्होंने भूपेश बघेल को भी नकार दिया। जिससे जिससे भूपेश बघेल भी सन्नाटे में आ गए और सारे प्रदेश में ननकी राम कंवर ने वाहवाही बटोरी। यह एक छोटा सा उदाहरण बताता है कि ननकी राम कंवर ने कभी भी चाहे कितने बड़े पद के लोग हों उनके सामने समझौता नहीं किया और सिद्धांतों को लेकर के जन सेवा कर रहे हैं। अब विधानसभा 2023 के समर में एक बार फिर आम जनता के बीच आकर ननकी राम विधानसभा पहुंचकर प्रदेश की जनता की सेवा करेंगे ऐसा आम मतदाताओं का मानना है।

ऐसा रहा उनका राजनीतिक सफरनामा

ननकीराम कंवर ने सन 1969 में जनसंघ सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था। जिसके बाद उन्होंने सन 1972 में अपना प्रथम विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 1977 में वे रामपुर विधानसभा से फिर से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने। इसके बाद लगातार 1990, 1998, 2003 एवं 2008 में विधायक बने। 2013 हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट फिर से वह विधायक चुने गए हैं। ननकीराम कंवर अविभाजित मध्यप्रदेश में सन 1977 से लेकर 1979 तक राजस्व विभाग के संसदीय सचिव रहे। उसके बाद 1979 में राजस्व विभाग के राज्य मंत्री बने। 1990 में मंत्री मध्यप्रदेश शासन बनें। इस दौरान वन एवं कृषि विभाग के मंत्री रहे। मंत्री रहने के साथ ही वह संगठन की राजनीति में भी सक्रिय रहे और भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। 1992- 93 में मंत्री जनशक्ति नियोजन एवं तकनीकी शिक्षा विभाग रहे। 1994 से 98 तक वह भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष प्रदेश कार्यसमिति के साथ ही राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी रहे। 1998 से 2000 तक वह सदस्य अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति एवं प्रत्यायुक्त समिति मध्यप्रदेश विधानसभा रहे। 2000 में वह सदस्य सदन समिति एवं विशेषाधिकार समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहे। 2001- 2 में वह सदस्य विशेषाधिकार समिति एवं सदन समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहे। 2003-4 में वह सदस्य शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति एवं आचरण समिति छतीसगढ़ विधानसभा रहे।