बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट Chhattisgarh High Court ने रेडी-टू-ईट ready-to-eat case मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य शासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था को सही माना और कहा कि इससे आहार की गुणवत्ता बेहतर होगी। सुनवाई के बाद जस्टिस आरसीएस सामंत ने महिला स्व सहायता समूहों की ओर से दायर 287 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब रेडी-टू-ईट उत्पादन का काम ऑटोमैटिक मशीन से कराने का रास्ता साफ हो गया इै। कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट में अलग-अलग स्व सहायता समूह की ओर से करीब 287 याचिकाएं दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 28 जनवरी को सुनवाई करते हुए शासन के आदेश पर रोक लगा दी थी और स्व सहायता समूह को आगामी सुनवाई तक बिना किसी बाधा के कार्य करने का आदेश दिया था।
छत्तीसगढ़ शासन ने अपने जवाब में कहा था कि छत्तीसगढ़ में चल रही रेडी टू ईट योजना से महिला स्व सहायता समूहों को पूरी तरह से बाहर नहीं किया गया है। वह इसका निर्माण कार्य नहीं करेंगी, लेकिन फूड का परिवहन और वितरण की जिम्मेदारी उनके ही पास रहेगी। इसे बनाने का जिम्मा राज्य सरकार ने राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को सौंप दिया है। शासन ने तर्क दिया था कि इससे पोषण आहार की गुणवत्ता में सुधार होगा।
भाजपा ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा
बता दें कि भाजपा ने राज्य सरकार पर रेडी-टू-ईट पौष्टिक भोजन के निर्माण और वितरण में लगी महिला स्व सहायता समूहों का रोजगार छीनने का आरोप लगाते हुए विधानसभा में जमकर हंगामा किया था। विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा सहित अन्य भाजपा विधायकों ने इस मामले को उठाया था और चर्चा कराए जाने की मांग की थी।
इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार भूपेश बघेल सरकार पर हमलावर रही है। विपक्ष ने महिलाओं से रोजगार छिनकर बाहर की कंपनी को काम देने का आरोप भी लगाया था।