वाहन चालकों के लिए हेलमेट, सीटबेल्ट के उपयोग व लायसेंस व बीमा होना जरूरी : न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे

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The Duniyadari: दुर्ग- सुप्रीम कोर्ट कमिटी ऑन रोड सेफ्टी के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में आज लोक निर्माण विभाग के सभाकक्ष में जिले की सड़क सुरक्षा के संबंध में बैठक आयोजित की गई। बैठक में उन्होंने वर्ष 2024 और 2025 में हुई सड़क दुर्घटनाओं और उनसे हुई मौतों की तुलनात्मक जानकारी लेते हुए जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर गंभीर असंतोष व्यक्त किया। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने सड़क सुरक्षा के मामले में प्रशासन को और अधिक प्रभावी एवं ठोस कदम उठाने को कहा। उन्होंने संबंधित विभागों से दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण करने और संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर वहां तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

न्यायमूर्ति सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जन जागरूकता अभियान चलाएं। इस अभियान में संतुलित गति में वाहन चलाने, हेलमेट पहनने, सीटबेल्ट लगाने, सड़कों के सांकेतिक चिन्हों का पालन करने और शराब के नशे में वाहन न चलाने के बारे में जानकारी दी जाए। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटना में कमी लाना है, जिससे प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्यु कम हो सके। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु में बिना हेलमेट और बिना सीटबेल्ट पहने वाहन चलाने वाले की संख्या ज्यादा होती है इसलिए बिना हेलमेट पहने और बिना सीटबेल्ट लगाए वाहन चलाने वालों पर चालानी कार्यवाही की जाए। शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर भी कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। बैठक में ब्लैक स्पॉट्स के चिन्हांकन के पश्चात यथा शीघ्र सुधारात्मक उपायों, घायलों की त्वरित उपचार देने, नियम तोड़ने वालों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपचार एवं ट्रामा केयर के लिए विशेष पहल करके सड़क दुर्घटना में मृत्युदर में कमी की जा सकती है। इसके लिए अंतर्विभागीय समन्वय से रणनीति एवं योजना बनाकर बेहतर कार्य किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने बताया कि भारत की तुलना में जापान, जर्मनी और अमेरिका में होने वाली सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने वाले लोगों की संख्या कम होती है, इसका कारण है कि वहां वाहन चलाते समय हेलमेट और सीटबेल्ट का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने जिले के सभी वाहनों के बीमा फिटनेस और वाहन चालकों के लाससेंसों की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तथा लोक निर्माण विभाग द्वारा किए जा रहे सड़क सुरक्षा उपयों की जानकारी ली।

उन्होंने एनएचएआई, यातायात पुलिस एवं परिवहन, नगर निगम आयुक्तों से भी सड़क सुरक्षा के संबंध में उठाए गए कदम के बारे में चर्चा की। बैठक में अंतर्विभागीय लीड एजेंसी(सड़क सुरक्षा) के अध्यक्ष संजय शर्मा द्वारा समग्र सड़क सुरक्षा परिदृश्य, सड़क दुर्घटनाओं के कारण, नियंत्रण के उपाय-लक्ष्य, सड़क सुरक्षा अंकेक्षण तथा प्रवर्तन, अंभियांत्रिकीय, शिक्षा, आकस्मिक उपचार आदि की भावी कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दिया गया।

कलेक्टर अभिजीत सिंह ने आश्वस्त किया कि प्रशासन सड़क सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सजग है और आने वाले समय में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सक्रिय और निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग मिलकर इन प्रयासों को और अधिक प्रभावशाली बनाया जाएगा। पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि चिन्हांकित स्थानों में प्रकाश व्यवस्था, संकेतक, रोड मार्किंग व गति नियंत्रक बोर्ड लगाने से एक्सीडेंट में कमी आई है। उन्होंने बताया कि 60 प्रतिशत से अधिक सड़क दुर्घटनाएं दूसरों की गलती से होती जिसके लिए हमें हेलमेट पहनना और सीट बेल्ट लगाना आवश्यक है। जिससे हमारा जीवन सुरक्षित रह सके। हमारा प्रयास रहेगा कि जिले में शत प्रतिशत लोगों को हेलमेट पहनने के लिए जागरूक कर सके।

इस अवसर पर संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर, आईजी रामगोपाल गर्ग, एडीएम अरविंद एक्का, सहायक कलेक्टर बबन अभिजीत पठारे, एएसपी ऋचा मिश्रा, सीईओ जिला पंचायत बजरंग दुबे, संयुक्त कलेक्टर हरवंश मिरी, एसडीएम सोनल डेविड, महेश राजपूत, उत्तम धु्रव, हितेश पिस्दा, नगर निगम आयुक्त दुर्ग सुमित अग्रवाल, रिसाली नगर निगम आयुक्त मोनिका वर्मा, भिलाई नगर निगम आयुक्त राजीव पाण्डेय, चरोदा नगर निगम आयुक्त दशरथ राजपूत, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एस.एल.लकडा, यातायात विभाग एवं पुलिस विभाग सहित संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।