नई दिल्ली: भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए पूछा है, ‘सरकारी खजाने पर आखिर पहला हक किसका है?’. साथ ही उन्होंने कहा कि ‘मुफ्त की रेवड़ी’ लेने वालों में मेहुल चोकसी और ऋषि अग्रवाल का नाम शीर्ष पर है.
वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘जो सदन गरीब को 5 किलो राशन दिए जाने पर ‘धन्यवाद’ की आकांक्षा रखता है. वही सदन बताता है कि 5 वर्षों में भ्रष्ट धनपशुओं का 10 लाख करोड़ तक का लोन माफ हुआ है. ‘मुफ्त की रेवड़ी’ लेने वालों में मेहुल चोकसी और ऋषि अग्रवाल का नाम शीर्ष पर है. सरकारी खजाने पर आखिर पहला हक किसका है?’
वरुण गांधी की ‘मुफ्त की रेवड़ी’ वाली टिप्पणी को पीएम मोदी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें पीएम मोदी ने यूपी में एक जनसभा में मुफ्त में सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली राजनीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि यह ‘रेवड़ी कल्चर’ देश के विकास के लिए ”बहुत घातक” है.
पीएम मोदी ने कहा था, ‘आज हमारे देश में ‘रेवड़ियां’ बांट कर वोट जुटाने की संस्कृति जड़ जमा रही है. यह ‘रेवड़ी कल्चर’ देश के विकास के लिए बहुत घातक है. देश के लोगों खास तौर से युवाओं को इस संस्कृति के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है.’
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बता दें, वरुण गांधी पहले भी अपनी सरकार को लेकर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने हालही भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ समाप्त किए जाने के बारे में राज्यसभा में चर्चा की मांग किए जाने संबंधी नोटिस का उल्लेख करते हुए वरुण ने एक ट्वीट में कहा कि जनता को मिलने वाली राहत पर ऊंगली उठाने से पहले ‘हमें अपने गिरेबां’ में जरूर झांक लेना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘क्यों न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सभी सुविधाएं खत्म करने से हो?’
वरुण गांधी ने ट्वीट में पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों द्वारा सिलेंडर दोबारा न भरवाने का मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले पांच सालों में 4.13 करोड़ लोग सिलेंडर को दुबारा भरवाने का खर्च एक बार भी नहीं उठा सके, जबकि 7.67 करोड़ ने इसे केवल एक बार भरवाया.
उन्होंने कहा, ‘घरेलू गैस की बढ़ती कीमतें और नगण्य सब्सिडी के साथ गरीबों के ‘उज्जवला के चूल्हे’ बुझ रहे हैं. स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन देने के वादे क्या ऐसे पूरे होंगे?’