The Duniyadari : रायपुर। राज्य में SIR को लेकर जारी खींचतान एक बार फिर गरमा गई है। दिल्ली दौरे से लौटे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्टी नेतृत्व से मुलाकात के बाद केंद्र और प्रदेश सरकार, दोनों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “देश में SIR के खिलाफ माहौल स्पष्ट है। जनता के दबाव के कारण ही सरकार संसद में चर्चा के लिए तैयार हुई। यदि पहले ही मान लेते, तो दो दिन का समय बर्बाद नहीं होता। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की है।”
जमीन गाइडलाइन पर तंज
बृजमोहन अग्रवाल की चिट्ठी पर प्रतिक्रिया देते हुए बघेल ने कहा कि
“बृजमोहन खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी सरकार में कोई सुनवाई नहीं है। हमारे समय में गाइडलाइन 30% घटाई गई थी, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को सहारा मिला था और मिडिल क्लास घर खरीदने में सक्षम हुआ था। नई गाइडलाइन ऐसी है कि बड़े खरीदार भी जमीन लेने में सोचेंगे। सरकार शायद कुछ खास लोगों के हित में योजना बना रही है।”
दो साल पूरे, पर जनता परेशान—बघेल
राज्य सरकार के दो साल पूरे होने पर बघेल ने तंज कसते हुए कहा—
“सरकार के दो साल चलने से पहले ही लोग सड़कों पर उतर आए हैं। व्यापारी हों, कर्मचारी या बेरोजगार—सब परेशान घूम रहे हैं। यह वास्तव में सरकार नहीं, पर्ची से चलने वाली व्यवस्था है, जिसे अहमदाबाद और दिल्ली से निर्देश मिलते हैं।”
अंबिकापुर कोयला खदान विवाद
खनन क्षेत्र में उठ रहे विवाद पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि
“जब नियमों का पालन नहीं होगा, जमीन छीनी जाएगी और मुआवजा नहीं मिलेगा, तो आंदोलन ही होंगे। भिलाई और दुर्ग के बाद अब सरगुजा में हो रहे विरोध सरकार की नाकामी का परिणाम है।”
बीजापुर मुठभेड़ पर बयान
बीजापुर में हुई मुठभेड़ में 12 नक्सलियों के मारे जाने और 3 जवानों की शहादत पर बघेल ने कहा—
“शहीद जवानों को श्रद्धांजलि और उनके परिवारों के प्रति संवेदना। नक्सल चुनौती पर सरकार को संवेदनशील होकर काम करना होगा।”
PMO को ‘सेवा तीर्थ’ घोषित करने पर सवाल
प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘सेवा तीर्थ’ घोषित करने पर उन्होंने व्यंग्य किया—
“धार्मिक तीर्थ परमात्मा दर्शन के लिए बनाए जाते हैं। अब PMO को ही तीर्थ कर दिया गया है। क्या आम जनता भी वहां जा सकेगी? कहीं VIP और जनता में फर्क तो नहीं होगा? आम लोगों के लिए जगह कहां है?”
नेहरू-बाबरी टिप्पणी पर राजनाथ सिंह को घेरा
राजनाथ सिंह के हालिया बयान पर बघेल ने कहा—
“उन्हें हमेशा गंभीर मंत्री माना, लेकिन यह बयान बेहद हल्का था। यदि उनके पास तथ्य हैं तो देश के सामने रखें। समाज को बांटने की कोशिश न करें। 50–60 साल पुराने मुद्दे उठाने वाले वर्तमान के सवालों पर मौन क्यों रहते हैं?”














