नई दिल्ली। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के ऑफिसर की सैलरी कितनी होती है? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि एक अधिकारी ने ट्विटर पर अपने वेतन को लेकर दावा किया है। छत्तीसगढ़ गर्वनर के एडीसी, सूरज सिंह परिहार (IPS) का कहना है कि 17 साल लगातार जॉब के बाद भी उनकी तनख्वाह अभी छह अंकों में नहीं पहुंची है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि ‘2005 से लगातार जॉब में हैं, अभी तनख्वाह की फिगर 6 डिजिट में पहुंचना बाकी है।’ मजाकिया लहजे में आईपीएस ऑफिसर ने कहा कि सैलरी भले ही छह डिजिट्स में न पहुंची हो मगर ट्विटर फॉलोअर्स की संख्या जरूर एक लाख के पार हो गई है। इस ट्वीट पर काफी लोगों ने हैरानी जताई कि इतने अनुभवी अधिकारी का वेतन कैसे 1 लाख से कम है, वह भी तब जब सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशें 2016 से लागू है। क्या IPS अधिकारियों को वाकई इतना कम वेतन मिलता है या कोई और वजह है? आइए समझते हैं।
IPS ऑफिसर्स का सैलरी-स्लैब देखिए
रैंक बेसिक पे (रुपये में)
DSP 56,100
ASP 67,700
SP 78,800
SSP 118,500
DIG 131,100
IG 144,200
ADGP 182,200
DGP 205,400-225,000
IPS को क्या भत्ते, सुविधाएं मिलती हैं?
एक आईपीएस की सैलरी में कई पर्क्स होते हैं। नए-नए आईपीएस को भी कई सुविधाएं और भत्ते मिलते हैं जो इस प्रकार हैं
महंगाई भत्ता (DA)
यात्रा भत्ता (TA)
घर किराया भत्ता (HRA)
ड्राइवर
चपरासी
घरेलू नौकर
निजी सहायक
आधिकारिक वाहन
रेजिडेंशल क्वार्टर्स (टाइप IV से लेकर टाइप VIII) या फिर HRA
CGHS मेडिकल सुविधा
ग्रैच्युटी
प्रॉविडेंट फंड (जहां IDA लागू हो)
लीव इनकैशमेंट
लीव ट्रेवल अलाउंस/टुअर अलाउंस
सूरज की सैलरी एक लाख से कम कैसे?
एक बात ध्यान रहे कि सूरज सिंह परिहार 2005 से जॉब कर रहे हैं मगर आईपीएस अधिकारी 2015 में बने। वह अभी एसपी रैंक में होंगे जिसके चलते उनका मूल वेतन एक लाख से ज्यादा नहीं होगा। हालांकि इसमें भत्ते व अन्य सुविधाएं जोड़ेंगे तो जरूरत रकम उससे ज्यादा हो जाएगी।
कॉल सेंटर में काम करते थे सूरज
सूरज सिंह परिहार का जन्म उत्तर प्रदेश में जौनपुर के एक छोटे से गांव में हुआ। पढ़ाई कानपुर में हुई। 2000 में उन्हें राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय बाल श्री पुरस्कार मिला। अगले साल यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में परिहार ने कॉलेज टॉप किया। वह घर खर्च चलाने के लिए दूसरों को अंग्रेजी बोलना सिखाने लगे। फिर नोएडा आकर अंग्रेजी कॉल सेंटर में नौकरी करने लगे। वह पैसे जुटा कर यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे। बैंकों के एग्जाम निकाले और यहां तक एक जगह मैनेजर की पोस्ट पर जॉइन भी कर लिया मगर फिर लक्ष्य के लिए नौकरी छोड़ दी।
सूरज ने 2011 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर 2012 में उन्होंने दोबारा प्रयास किया, इस बार भी वो मेन्स परीक्षा से आगे नहीं बढ़ सके। तीसरे प्रयास में उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी बनने में सफलता मिली, लेकिन सूरज का लक्ष्य आईआरएस नहीं, आईपीएस बनना ही था। सूरज ने 2015 में एक बार फिर यानी चौथी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार वो अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे।