The Duniyadari: रायपुर/जगदलपुर- पति की मृत्यु के बाद पत्नी को बीमा नहीं देने पर राज्य उपभोक्ता फोरम ने एसबीआई जीवन बीमा कंपनी पर जुर्माना लगाया है. फोरम ने आदेश दिया है कि कंपनी पीड़िता को 50 लाख रुपए 7 फीसदी ब्याज के साथ दे. साथ ही मानसिक कष्ट के लिए उसे 10 हजार रुपए भी देने का आदेश दिया है.
बीमा कंपनी ने ये कहकर क्लेम रिजेक्ट किया था कि बीमा के समय बीपी और शुगर की बीमारी छिपाई गई थी. फोरम ने कंपनी के इस तर्क को खारिज कर दिया. सुरडोंगर केशकाल निवासी सावित्री सलाम ने बताया कि 16 जून 2021 को उनके पति की मृत्यु हो गई थी. उन्होंने एसबीआई जीवन बीमा कंपनी से एक पॉलिसी ली थी, सावित्री ने बीमा कंपनी में क्लेम किया.
लेकिन कंपनी ने यह कहकर दावा खारिज कर दिया कि सावित्री के पति को पहले से शुगर और दिल की बीमारी थी. उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी थी. बीमा कंपनी के कई चक्कर काटने के बाद सावित्री ने जिला उपभोक्ता आयोग कांकेर में परिवाद दायर किया.
आयोग ने आदेश दिया कि कंपनी परिवादी को बीमा की पूरी रकम भुगतान करे. कंपनी ने इस आदेश से असंतुष्ट होकर राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की.
अपील की सुनवाई के दौरान राज्य उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष न्यायधीश गौतम चौरड़िया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने यह कहा कि, मात्र एम्स रायपुर के मेडिकल रिकॉर्ड में की गई टीप को आधार बनाकर बीमा दावा खारिज किया गया था.
उसके समर्थन में किसी प्रकार का मेडिकल रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि बीमित व्यक्ति बीमा प्रस्ताव करने के पहले शुगर और दिल की बीमारी से पीड़ित थे. ना तो उस समय उन्हें इस बीमारी की कोई जानकारी थी, ना ही वह इसके लिए कोई दवाई खा रहे थे.