आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला: भ्रष्ट अधिकारियों ने की कमीशनखोरी, जांच शुरू

16

The Duniyadari: रायपुर- शराब घोटाले में 11 आबकारी अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमीशनखोरी की। वसूली की रकम से प्रदेशभर के विभिन्न जिलों में स्वयं और परिजनों के साथ ही बेनामी चल-अचल संपत्ति खरीदी।

वहीं, कारोबारी में निवेश एवं बेहिसाब खर्च किया। 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में पेश किए गए चालान में ईओडब्ल्यू ने इसका खुलासा किया है। हम आपको 31 अधिकारियों को इस कमीशन का कितना हिस्सा मिला इसकी जानकारी दे रहे है।

चार्जशीट के अनुसार, नवीन प्रताप सिंह तोमर ने रायपुर और बलौदाबाजार में सबसे ज्यादा 39 खसरों और 3 रजिस्ट्रियों में जमीन खरीदी। वह स्वयं और इंदिरा देवहारी के नाम पर हैं। मंजूश्री कसेर ने रायपुर, जांजगीर और गरियाबंद में 25 प्रॉपर्टी रिश्तेदारों एवं परिचितों के नाम पर खरीदी।

नोहरसिंह ठाकुर ने रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में कुल 5 प्रॉपर्टी खरीदीं, जिनमें करुणा सुधाकर, लवकुश नायक और विजयलाल जाटवर जैसे नाम सामने आए हैं। प्रमोद नेताम ने कोरिया, कोरबा और रायपुर में 6 प्रॉपर्टी खरीदी, जो उनके और परिजनों के नाम पर हैं।

इकबाल अहमद खान, दिनकर वासनिक, मोहित जायसवाल, विजय सेन शर्मा, नीतिन खंडूजा और अरविंद पटले जैसे अफसरों ने भी अलग-अलग जिलों में संपत्तियां खरीदीं, जिनके दस्तावेजी साक्क्ष्य जब्त किए गए हैं। वहीं, काली कमाई को छिपाने के लिए दिनकर वासनिक ने आईओसी शेयर में निवेश किया।

ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा मिले: वहीं सिंडिकेट बनाने वाले कारोबारी अनवर ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा मिले। अनवर ढेबर ने इन पैसों को रिश्तेदारों और ष्ट्र के नाम कई कंपनियों में इन्वेस्ट किया। EOWकी जांच में इस बात का खुलासा हुआ है.

श्वह्रङ्ख की चालान के अनुसार शराब डिस्टलर्स से कमीशन और बी पार्ट की शराब बिक्री से मिलने वाले पैसे का 15 प्रतिशत कारोबारी अनवर ढेबर को जाता था। अनवर ढेबर इन पैसों को अपने करीबी विकास अग्रवाल और सुब्बू की मदद से लेता था। विकास अग्रवाल और सुब्बू शराब दुकानों से पैसा वसूलने का काम करते थे।

22 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट पेश : राज्य में हुए 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू ने वर्तमान में पदस्थ 22 आबकारी अधिकारियों समेत 29 के खिलाफ 7 जुलाई को चार्जशीट पेश किया। चार्जशीट में जिन अधिकारियों के नाम हैं, उन पर आरोप है कि इन्होंने 2019 से 2023 के बीच 15 जिलों में पदस्थापना के दौरान 90 करोड़ रुपए कमीशन वसूला।

अधिकारियों को यह कमीशन सरकारी दुकानों से अवैध रूप से शराब बेचने के एवज में मिली। एजेंसी को आरोप पत्र पेश किए चार दिन बीत गए, लेकिन अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।

जबकि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया हो या उनके खिलाफ आरोप पत्र (चार्जशीट) पेश किया गया हो उन्हें 72 घंटे के भीतर निलंबित किया जाए। हालांकि सूबे में इस बात की चर्चा है कि जल्द ही इन सभी के खिलाफ सरकार फैसला ले सकती है।

2019 से 23 तक 29 अधिकारियों ने 15 जिलों में चलाया कारोबार : शराब घोटाला करने के लिए राज्य के जिलों को 8 जोन में बांटा गया था। जोन के हिसाब से डिस्टलरी को शराब सप्लाई का काम दिया गया था। अवैध शराब की बिक्री सिर्फ 15 जिलों में की गई।

इसमें रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, मुंगेली, महासमुंद, कोरबा, कवर्धा, जांजगीर-चांपा, गरियाबंद, दुर्ग, धमतरी, बेमेतरा, बलौदाबाजार और बालोद जिले को शामिल किया गया था। इन जिलों में पोस्टिंग के लिए भी खूब बोली लगाई गई।

इस दौरान 15 जिलों में 29 अधिकारियों की पोस्टिंग हुई। राजनेताओं और पार्टियों को मिला तगड़ा कमीशन : घोटाले में पिछली सरकार के प्रभावशाली नेताओं व राजनैतिक पार्टी को 13.92 अरब रुपए बतौर कमीशन मिले। शराब निर्माता भाटिया वाइन मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड, वेलकम डिस्टलरी और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को अवैध शराब बनाने के लिए 358 करोड़ रुपए कमीशन मिला।

2023 के चुनाव में विभाग से हुई बड़ी फंडिंग : जांच एजेंसी की पड़ताल में यह भी खुलासा हुआ कि 2023 के विधानसभा चुनाव में आबकारी विभाग से बड़ी फंडिंग एक पार्टी को हुई। फंडिंग के लिए रकम जुटाने की जिम्मेदारी आबकारी उपायुक्त दिनकर वासनिक, नवीन प्रताप सिंह तोमर, विकास गोस्वामी, नीतू नोतानी और इकबाल खान को थी।

इन्होंने ही चुनाव के पहले जिलों में अपनी पसंद के अधिकारियों की पोस्टिंग कराई। फिर चुनाव फंड की वसूली की। यहां तक चुनाव में उम्मीदवारों को बांटने के लिए शराब भी उपलब्ध कराई गई। दिनकर वासनिक का नाम झारखंड शराब घोटाले में भी आया है।

कांग्रेस सरकार में आबकारी अधिकारियों ने जमकर लूटा भूपेश की कांग्रेस सरकार के समयकाल शराब घोटाला आबकारी अधिकारियों ने जमकर लूटा छत्तीसगढिय़ों का पशीनों का पैसा लूट का संपत्ति अपने रिश्तेदारों के नाम पर खऱीदी किसी ने अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए बड़े बड़े कम्पनियों के डिबेंचर और बॉन्ड शेयर लिए हद तो तब हो गई क्वासी लखमा अवैध शराब के पैसे से कांग्रेस भवन का निर्माण कर दिया जिसको बाद में जाँच के उपरांत ज़ब्त किया कर सील किया गया शराब की काली कमाई का पूरा महकमा सक्रिय तौर पर भूपेश सरकार के ऊपर हावी था रायपुर से लेकर दिल्ली तक सभी जगह पैसा पहुँचाने का कार्य भी राज्य को दिया गया था छत्तीसगढ़ में करोना काल में शराब की बिक्री को दोगुना बढ़ाना ये सोची समझी रणनीति के तहत किया गया था इसी दौरान भ्रष्टाचारी कांग्रेस सरकार ने इन सभी आरोपी भ्रष्ट अधिकारी के साथ मिलकर की सबसे बड़े शराब घोटाले को अंजाम दिया।