The Duniyadari: दुर्ग- जिले के ग्राम सिरसा थाना क्षेत्र पुलगांव चौकी जेवरा सिरसा में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। शिवनाथ नदी में नहाने उतरे एक युवक की डूबने से मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही जिला सेनानी एवं अग्निशमन अधिकारी नागेंद्र कुमार सिंह के निर्देश पर एसडीआरएफ (SDRF) दुर्ग की टीम तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई और रेस्क्यू अभियान शुरू किया।
जानकारी के अनुसार, मृतक युवक का नाम साहिल देशमुख (पिता सतीश देशमुख, उम्र 22 वर्ष) है, जो ग्राम समोदा थाना पुलगांव, चौकी जेवरा सिरसा, जिला दुर्ग का निवासी था। बताया जाता है कि साहिल अपने दोस्तों के साथ शिवनाथ नदी के किनारे पहुंचा था और नहाने के लिए नदी में उतरा। इसी दौरान वह तेज धारा में बहकर गहरे पानी में चला गया।
आसपास मौजूद लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसके बाद स्थानीय लोगों ने तत्काल कंट्रोल रूम दुर्ग को घटना की जानकारी दी। सूचना मिलने पर जिला सेनानी नागेंद्र कुमार सिंह ने रेस्क्यू टीम को मौके पर भेजा। SDRF दुर्ग की टीम के जवान इंद्रपाल यादव ने डीप डाइविंग तकनीक का उपयोग करते हुए नदी में गहराई तक जाकर युवक की खोजबीन शुरू की।
करीब एक घंटे के अथक प्रयास के बाद साहिल का शव नदी से बाहर निकाला गया। पुलिस ने SDRF टीम से शव को अपने कब्जे में लेकर पंचनामा कार्रवाई की और आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि युवक तैरना नहीं जानता था और नदी का पानी इस समय अधिक गहरा व तेज बहाव वाला है, जिससे हादसा हुआ।
SDRF दुर्ग की तत्परता
एसडीआरएफ की त्वरित कार्रवाई से मृतक का शव समय रहते बरामद हो गया, जिससे परिजनों को कम से कम अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने का अवसर मिल सका। जिला सेनानी नागेंद्र कुमार सिंह ने टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में नदियों, तालाबों और अन्य जलाशयों में नहाने से बचना चाहिए, क्योंकि पानी का बहाव और गहराई अनुमान से कहीं अधिक हो सकती है।
गांव में शोक का माहौल
साहिल देशमुख की असमय मौत से पूरे ग्राम समोदा और जेवरा सिरसा इलाके में शोक की लहर है। परिवारजन का रो-रोकर बुरा हाल है। स्थानीय लोग इस घटना को बेहद दर्दनाक बताते हुए युवाओं से सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। वहीं, SDRF और पुलिस प्रशासन ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि वे मानसून के दौरान नदी-तालाब के किनारे जाने से बचें और अपनी जान को खतरे में न डालें।