छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सरगर्मी तेज, संभावित मंत्रियों के नाम लगभग तय

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The Duniyadari: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कैबिनेट विस्तार की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है और आगामी 18 अगस्त से पहले तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज अचानक राजभवन पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की और संभावित मंत्रियों के नामों की सूची सौंपी। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में कैबिनेट विस्तार की अटकलें और भी तेज हो गई हैं।

सरगुजा संभाग के दो विधायक – अम्बिकापुर से राजेश अग्रवाल और लुण्ड्रा से प्रबोध मिंज – रायपुर के लिए रवाना हो चुके हैं। दोनों को मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही हैं। राजेश अग्रवाल ने हालिया विधानसभा चुनावों में पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को हराकर बड़ी राजनीतिक उपलब्धि हासिल की थी, जबकि प्रबोध मिंज का सामाजिक व राजनीतिक अनुभव – दो बार महापौर एवं आयोग सदस्य के रूप में – उन्हें मंत्रिपद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाता है।

इसके साथ ही दुर्ग शहर से विधायक गजेंद्र यादव का नाम भी लगभग तय माना जा रहा है। आरएसएस के समर्थन और यादव समाज के बड़े वोट बैंक को देखते हुए, उनके नाम पर सहमति बन चुकी है। ओबीसी वर्ग में यादव समाज की बड़ी हिस्सेदारी को ध्यान में रखते हुए यह नियुक्ति सामाजिक संतुलन की दृष्टि से भी अहम मानी जा रही है।

वहीं, आरंग से विधायक गुरु खुशवंत सिंह का नाम भी अंतिम सूची में चर्चा में है। इससे पहले अमर अग्रवाल, पुरंदर मिश्रा, और राजेश मूणत जैसे नामों पर भी विचार हुआ था, लेकिन अब समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री साय ने आज सुबह मीडिया से बातचीत में कहा था कि “इंतजार कीजिए, जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।” उन्होंने संकेत दिया था कि यह विस्तार उनके 22 अगस्त के विदेश दौरे से पहले किया जाएगा।

संभावित मंत्रियों के नाम:

1. श्री राजेश अग्रवाल – विधायक, अम्बिकापुर

2. श्री प्रबोध मिंज – विधायक, लुण्ड्रा

3. श्री गजेंद्र यादव – विधायक, दुर्ग शहर (संभावित)

4. श्री गुरु खुशवंत सिंह – विधायक, आरंग (चर्चा में)

मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने की पूरी कोशिश की गई है। सरगुजा और ओबीसी समुदाय से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के साथ ही वैश्य समाज और आदिवासी वर्ग को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मंशा स्पष्ट दिखाई देती है।