दंतेवाड़ा में आदिवासी विकास विभाग में बड़ा घोटाला उजागर – 45 फर्जी टेंडर, तीन अधिकारियों पर गिरी गाज

15

The Duniyadari:छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के आदिवासी विकास विभाग में एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि विभाग के दो पूर्व सहायक आयुक्त और एक लिपिक ने मिलकर वर्ष 2021 से 2025 के बीच जिला खनिज न्यास निधि (DMF) के अंतर्गत संचालित कार्यों में भारी गड़बड़ी करते हुए 45 फर्जी टेंडर जारी किए।

इस धोखाधड़ी के उजागर होने के बाद विभाग में कार्यरत क्लर्क संजय कोडोपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, पूर्व सहायक आयुक्त डॉ. आनंदजी सिंह एवं के.एस. मसराम सहित तीनों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच

जिला कलेक्टर कुणाल दुदावत के निर्देश पर 2021 से 2025 तक डीएमएफ मद से हुए कार्यों की समीक्षा कराई गई थी। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि निविदा प्रक्रिया में भारी हेरफेर कर, मनचाहे ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।

इस पूरे मामले की शिकायत वर्तमान सहायक आयुक्त राजीव नाग द्वारा सिटी कोतवाली थाने में की गई है, जिस पर आगे की वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।

जिम्मेदार अधिकारी और आरोप

  • डॉ. आनंदजी सिंह (पूर्व सहायक आयुक्त) – टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता का मुख्य आरोप
  • के.एस. मसराम (पूर्व सहायक आयुक्त) – सहयोगी के रूप में जिम्मेदारी तय
  • संजय कोडोपी (क्लर्क) – फर्जी दस्तावेजों के निर्माण का आरोप

पूर्व में भी विवादों में रह चुके हैं डॉ. आनंदजी सिंह

उल्लेखनीय है कि डॉ. आनंदजी सिंह पूर्व में भी विवादों में घिर चुके हैं। उनके विरुद्ध गीदम थाना क्षेत्र में दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज हुआ था, हालांकि वर्तमान में उन्हें अदालत से अंतरिम राहत प्राप्त है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह मामला भी विभागीय ठेकेदारी से ही जुड़ा हुआ था।

टेंडर समिति पर भी सवाल

इस घोटाले के उजागर होने के बाद टेंडर अनुमोदन समिति की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पांच वर्षों तक फर्जी टेंडरों के जारी होने के बावजूद समिति द्वारा कोई आपत्ति न जताया जाना, इस पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना रहा है। अब जांच एजेंसियां समिति के निर्णयों और प्रक्रिया में लापरवाही के पहलुओं की भी गहराई से जांच कर रही हैं।