The Duniyadari : रायपुर। राजधानी की राजनीति इन दिनों भाजपा नेता और समाजसेवी बसंत अग्रवाल के विवादित बयान को लेकर सुलग रही है। एक प्रेसवार्ता में दिए गए उनके कथन – “विधायक मेरे सामने कहीं नहीं लगते, मंत्री और मुझे आमने-सामने खड़ा कर दो तो देखना किसे ज्यादा नमस्कार मिलेगा” – सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।
इस बयान ने विपक्ष को मौका दे दिया। कांग्रेस ने सबसे पहले इसे अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते हुए तंज कसा कि भाजपा नेता खुद को विधायकों और मंत्रियों से भी ज्यादा ताकतवर मानते हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसे नेताओं को संरक्षण देती है, जबकि प्रदेश गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। पार्टी ने आगे लिखा कि “रायपुर खून से लाल है, किसान खाद की किल्लत झेल रहे हैं और सरकार न्यूडिटी मॉडल पेश कर रही है, लेकिन भाजपा के नेता धर्म और कथाओं के नाम पर अपनी राजनीतिक छवि चमकाने में लगे हैं।”
इधर, भाजपा खेमे में भी यह बयान हलचल पैदा कर गया। पार्टी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने अग्रवाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आत्मविश्वास अच्छी बात है, मगर यह जरूरी नहीं कि हर दावा हकीकत बन जाए। उन्होंने कटाक्ष किया – “मैं भी खुद को भगवान बोल दूं, तो क्या सच में भगवान हो जाऊंगा?”
बढ़ते बवाल के बीच खुद बसंत अग्रवाल भी सफाई देने सामने आए। उनका कहना है कि बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है और उनकी मंशा किसी विधायक या मंत्री को नीचा दिखाने की नहीं थी।
कौन हैं बसंत अग्रवाल?
रायपुर शहर में बसंत अग्रवाल बड़े धार्मिक आयोजनों, विशेषकर बागेश्वर धाम पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथाओं के प्रमुख आयोजक के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा वे रियल एस्टेट कारोबारी भी हैं। 2023 विधानसभा चुनाव में उन्होंने रायपुर पश्चिम सीट से टिकट की दावेदारी की थी, मगर पार्टी ने सीनियर नेता राजेश मूणत को प्रत्याशी बनाया था, जिन्होंने जीत भी हासिल की।
सियासी मायने
राजनीतिक हलकों का मानना है कि अग्रवाल का यह बयान भाजपा की अंदरूनी खींचतान और टिकट राजनीति से भी जुड़ा हो सकता है। कांग्रेस जहां इसे भाजपा की गुटबाजी और नेताओं की अहंकार भरी राजनीति का प्रतीक बता रही है, वहीं भाजपा नेतृत्व फिलहाल बचाव की मुद्रा में दिख रहा है।