The Duniyadari : रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की गूंज अब केंद्र तक पहुंच गई है। राज्य सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है, जिसके बाद अब इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार, रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर से जुड़ा यह मामला राज्य के सबसे बड़े मुआवजा घोटालों में से एक बनता जा रहा है। प्रशासनिक और ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच में कई राजस्व अधिकारी दोषी पाए गए हैं। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के तीन अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई है, हालांकि एनएचएआई ने अभी तक इन अफसरों पर कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है।
एनएचएआई से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी, ऐसे में प्राधिकरण के अधिकारियों को दोष देना उचित नहीं है। वहीं, ईडी ने पहले ही ईओडब्ल्यू से इस प्रकरण से संबंधित एफआईआर और जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी थी, जिससे संकेत मिल रहा है कि जल्द ही ईडी द्वारा ईसीआईआर दर्ज की जा सकती है।
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कई जगहों पर जमीन का आकार घटाकर तीन से सात गुना तक अधिक मुआवजा प्राप्त किया गया। कुछ मामलों में किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदकर शासन से ऊंचे दामों पर मुआवजा लेने की भी पुष्टि हुई है। जानकारों का कहना है कि इस घोटाले की परतें अभी और खुलनी बाकी हैं और कुछ आईएएस अफसरों के नाम भी जांच दायरे में आ सकते हैं।
गौरतलब है कि एनएचएआई ने पहले ही इस परियोजना में हुई अनियमितताओं पर आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद राजस्व विभाग ने जांच रिपोर्ट तलब की थी और मुआवजा वितरण अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब केंद्र सरकार के स्तर पर अगला फैसला होने का इंतजार है।