The Duniyadari :जशपुर, कुनकुरी। बुधवार को गढ़ाकटा शमशान घाट में ऐसा मंजर देखने को मिला, जिसे जिसने भी देखा — दहशत में आ गया।
60 वर्षीय जूनस बड़ा की चिता जल रही थी। अचानक जंगल की ओर से भारी कदमों की गड़गड़ाहट सुनाई दी… और अगले ही पल तीन हाथियों का झुंड सीधे शमशान घाट पर!
लोगों में अफरा-तफरी मच गई —
किसी ने चिता संभालने की कोशिश की, कोई झाड़ियों में छिप गया, तो कुछ लोग जान बचाकर सड़क की ओर भागते चले गए।
15 गाड़ियाँ चकनाचूर, लोग दहशत में
हाथियों ने ताबड़तोड़ हमला कर लगभग 15 वाहनों को पलटकर कुचल दिया। धातु के टूटने की आवाज़ें… डर से भरी चीखें… रात के सन्नाटे में विलाप ,पूरा शमशान घाट रणभूमि जैसा बन गया।
सबसे विचित्र बात?
जिस बुजुर्ग का अंतिम संस्कार चल रहा था उन्हें एक दिन पहले इन्हीं हाथियों ने खेत में कुचलकर मार दिया था! बेटे तो किसी तरह खेत से भाग निकले, लेकिन जूनस नहीं बच सके।
रेंजर टीम धमाकों के साथ पहुंची, तब जाकर बची जानें सूचना मिलते ही रेंजर सुरेंद्र होता अपनी टीम के साथ पहुँचे। पटाखों और जलती मशालों की आवाज़ से हाथियों को वापस जंगल की ओर खदेड़ा गया। काफी देर तक लोग छिपे रहे — जब स्थिति शांत हुई तब बाहर निकले।
ग्राम प्रधान की चेतावनी
गाँव वाले अभी भी सदमे में हैं।
ग्राम प्रधान ने घोषणा की है —
“रात में कोई भी घर से बाहर न निकले। झुंड अभी भी आसपास मंडरा रहा है।”
हाथी आतंक जारी — कब रुकेगा यह टकराव?
जशपुर में इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।
गाँवों में दहशत है — क्योंकि पता नहीं अगला निशाना कौन होगा।














