एसीबी की रेड और रूमाल वाला थानेदार…क्या कटघोरा बनेगा जिला?,महिला अफसरों में तकरार

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*एसीबी की रेड और रूमाल वाला थानेदार*

कोयलांचल के पड़ोसी जिला यानी गौरेला पेंड्रा मरवाही में एक यातायात सूबेदार पर एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई क्या हुई कोरबा के थानेदारों को पसीना आने लगा। एसीबी की रेड के बाद कोरबा के थानेदारों को पसीना आना जरूरी भी था, सबसे ज्यादा पसीना तो उन्हें आ रहा है जो एसीबी के रडार पर हैं। लोग अब उस थानेदार को तलाशने में लग गए हैं जिसके हाथ में रूमाल हो। पड़ोसी जिले के कार्रवाई के बाद अब तो लोग भी कहने लगे हैं…भूपेश है तो भरोसा है।

*महिला अफसरों में तकरार…जिले में बवाल*

जिले के दो महिला अधिकारियों के बीच खींची तलवार के बाद लोग जमकर चटखारे लगा रहे हैं। जंगल की शेरनी से हुई भिड़त के बाद बात इतनी आगे बढ़ी की उसकी धमक सूबे की राजधानी तक पहुंच गई और मामला बोरिया बिस्तर समेटने की होने लगीं। आखिर जिले के अधिकारी का रुतबा और स्कूल से जुड़ा मामला है तो पॉवरफुल अधिकारी को पीछे हटने का सवाल ही नहीं बनता।

मजे की बात है कि इन दोनों की लड़ाई में एक और महिला अधिकारी का नाम चर्चा में है, जो इन दिनों अपने मंत्र से ठेकेदारों और विभागीय सप्लायर्स को मैनेज कर रही हैं।

*मैं तो ठेकेदार हूँ…*

नगर निगम में इन दिनों एक नेता जी की ठेकेदारी चर्चा में है। दरअसल सामान्य सभा की बैठक में नेता जी खुद ही चिल्लाकर कह दिया कि मैं तो ठेकेदार हूँ… मेरे से ज्यादा ठेकेदार की परेशानी को भला कौन जानता है। खैर नेता जी तो ठहरे मूलतः ठेकेदार… निगम की सड़क में सुपरवाइजर का काम भी लोगों ने करते देखा है। लेकिन सदन के सामने ठेकेदार..ठेकेदार चिल्लाने सभा को अपमान लग रहा है। जानकारों की माने तो ठेकेदारी के शपथ पत्र में ये साफ लिखा रहता है कि मेरा कोई रिश्तेदार विभाग में लाभ के पद पर नहीं है। इसके बाद भी नेता जी की नेतागिरी कमाल है!

*स्वास्थ्य विभाग को वैक्सीन की दरकार*

कोरोना काल के बाद अस्वस्थ्य हो चुके स्वास्थ्य विभाग को वैक्सीन की दरकार है। वैक्सिनेशन अभियान में ड्यूटी कर रहे अधिकारियों के बीच इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि सेंटर प्रभारी जब सेंटर पहुंचता है पता चलता है कि वैक्सीन खत्म हो चुकी है। इससे ऐसा लगने लगा है कि पहले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वैक्सीन लगाया जाए। जिससे इस तरह सारे डिपार्टमेंट को परेशान न होना पड़े।

दूसरी तरफ चर्चा यह भी स्वास्थ्य विभाग के बड़े साहब के तो चारों उंगली घी में है तभी तो सीएमएचओ कार्यालय से मजह 900 मीटर की दूरी पर एक निजी हॉस्पिटल बिना लाइसेंस के चलते रहा और साहब अनजान बने रहे। बने भी क्यों न जब चुप रहने से बहुत कुछ हो सकता है तो बोलने की क्या जरूरत…

*क्या कटघोरा बनेगा जिला?*

जबसे कटघोरा जिला बनाने के लिए आंदोलन हो रहा है।तब से शहर के अफसर व कारोबारीयो का चेहरा लटका हुआ है। कटघोरा जिला बना तो सारा डीएमएफ कटघोरा के हिस्से और एनटीपीसी, बालको कोरबा के भाग्य में यानि मलाई कटघोरा के हिस्से और कोरबा के हिस्से में सिर्फ छाछ …. मगर 26 जनवरी गुजर गई कटघोरा जिला बनाने की मुहिम चलाने वालों को निराशा ही हाथ लगा है। अब निर्वाचित नेता कह रहे कोरबा जिले में साहब का दौरा होने दो उसी मंच से घोषणा न करवाया तो…

*किसान नहीं है आसान..गए थे छब्बे बनने बन गए चौबे…*

दिल्ली में जब किसान आंदोलन शुरू हुआ था तब पार्टी हाईकमान के सामने अपना नंबर बढ़ाने छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री जोरशोर से किसानों की आवाज उठा रहे ​थे, कुछ तो दिल्ली तक धमक आए। किसान आंदोलन को हवा देकर पार्टी हाईकमान के सामने उनका नंबर बढ़ा हो या ना हो पर भूपेश सरकार की परेशानी जरूर बढ़ गई है। नवा रायपुर में करीब डेढ़ महीने किसान आंदोलन कर रहे हैं। मगर सरकार है कि उनकी मांग पूरी नहीं कर रही है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे मनाने में लगे हैं मगर किसान इतनी आसानी मानते नहीं दिख रहे हैं। छत्तीसगढ़ का किसान आंदोलन अब दिल्ली पहुंचने वाला है, वहां सोनिया गांधी और राहुल से मुलाकात तय की जा रही है,यानि मंत्री की कोई चाल कामयाब नहीं हो रही है। किसान कहने लगे हैं गए थे छब्बे बनने बन गए चौबे….

 

                       अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा