जिले में विकास की धुरी साबित हो रहीं महिला कलेक्टर रानू

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0.गांव की चौपालों से लेकर शहरों तक में प्रेरणा बन रहीं यह नारी शक्ति

कोरबा।इच्छाशक्ति नाम है उस भावना का जिसमें असंभव को भी संभव बनाने का ओजस्वी विचार हो। बिरले ही होते हैं ऐसी इच्छाशक्ति के लोग जिनके पीछे चलकर खुद लोग अनुशरण करने लगते हैं। ऎसी इच्छाशक्ति अगर एक महिला की हो तो सोने में सुहागा वाली बात है।

तन चंचला, मन निर्मला, व्यवहार कुशला, भाषा कोमला, सदैव समर्पिता..आज का युग तेरा है परिणीता, नारी तुझ पर संसार गर्विता..नारी को समर्पित यह पंक्तियां जिले की महिला कलेक्टर  श्रीमती रानू साहू पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। जो गांव से लेकर शहरों तक में विकास की धुरी बनी हुई हैं और प्रेरणा बनकर दूसरों का भी मार्ग प्रशस्त कर रहीं हैं।

आठ मार्च को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कलेक्टर की प्रशासनिक व्यवस्था पर ही नजर डालें तो रानू साहू सौंपे गए प्रशासनिक कर्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ जुटी हुई हैं।

जून 2021 से पदस्थ जिले की कलेक्टर रानू साहू वर्ष 2010 से छत्तीसगढ़ के विभिन्न विभागों में बतौर सिविल सेवक लगातार कार्यकर चुकी हैं। उनकी त्वरित निर्णय लेने की क्षमता असाधारण है।

 

छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिले के एक छोटे से गांव पांडुका में पली बढ़ी रानू बचपन से ही पढ़ाई मेधावी छात्रा रहीं। उनहोंने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पांडुका में ही पूरी की।

वे एक साधारण किसान परिवार से जुड़ी हुई हैं, पिता एक साधारण किसान हैं। रानू साहू की माँ ने हिम्मत दी,तब ग्रेजुएशन के बाद पुलिस की तैयारी करने फॉर्म भर दिया। हाईकोर्ट ने रिजल्ट पर रोक लगा दी थी लेकिन, जब दोबारा रिजल्ट घोषित किया गया तो वो पास हुईं और आखिरकार रैंक के हिसाब से उनको डीएसपी का पद मिला।

पुलिस की सर्विस के साथ ही उन्होंने IAS की भी तैयारी जारी रखी। साल 2009 में IAS का की परीक्षा में सफल होकर कांकेर की कलेक्टर बनीं। कोरबा में पदस्थ होने के साथ ही जिले की आम लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतर लाभ प्राप्त हो, इस दिशा में वे लगातार मेहनत कर रही हैं।