कटाक्ष: छत्तीसगढ़िया रंग में रंगे कप्तान,पूरा शहर होलियाना मूड में …समान अठन्नी और कागज में खर्चा रुपैय्या…

0
357

 छत्तीसगढ़िया रंग में रंगे कप्तान

होली करीब हो उस पर छत्तीसगढ़ियां खुमारी की बात हो तो कैप्टन कूल इससे अछूते कैसे रहे…कोरबा पुुुलिस अधीक्षक भोज राम पटेल ठेठ छत्तीसगढ़िया रंग में रंगे नज़र आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ वो गाना ये भुइँया के लालन बेटा तै तो सिधवा लाल रे….यही करम हे…का खासा असर पड़ा है, तभी तो साहब सीएम की घोषणा करते ही सबसे पहले जनदर्शन की शुरुआत कर साबित कर दिया था कि सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया… अब जब राजगीत की बारी आई तो भी पहली बाजी मारकर रविवार को पुलिस लाइन में अरपा पैरी के धार …को ड्यूटी की शुरुआत से पहले गाने का फरमान जारी कर साबित कर दिया कि भुइँया ल छोड़ झन जाना… माटी कर्ज चुकाना!

0.नेताओं की बोलती बंद, कुछ वेंटिलेटर पर…

हाल में हुए पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से ऊर्जाधानी के कई बोल बच्चन टाइप नेताओं की बोलती बंद हो गई है। आलम यह है कि कुछ पार्टी के नेता अपने ही दिग्गज नेताओं को कोस रहे हैं और तो और शहर के कुछ दिग्गज वेंटिलेटर पर पहुंच गए हैं। जिले के कुछ नेता जो चुनाव फतह से पहले अलग अलग टोली में कोरबा से रवाना होकर उत्तराखंड की गलियों की खाक छानकर जब ऊर्जानगरी वापस पहुंचे तो ऊर्जा लबरेज घूम घूम कर गाना गाने लगे कि इस बार उत्तराखंड में सरकार बनने से कांग्रेस को कोई माई का लाल नहीं रोक सकता।
यहीं नहीं यूपी वाले नेताओं ने तो जमकर हुंकार भी भरी और कहा छत्तीसगढ़ मॉडल उत्तरप्रदेश को बनाएंगे। अब उन्हें कौन समझाए भला जिस मॉडल की बात हो रही हैं.. असल में वह है ही नहीं। खैर यूपी की राजनीति जैसी भी रही हो लेकिन शहर के बोल बच्चनो ने यूपी में भी अपनी तो नहीं पर सपा की सरकार जरूर बना रहे थे। दोनों की पिट गए और अब बोलती….

समान अठन्नी और कागज में खर्चा रुपैय्या…

वन विभाग में इन दिनों फील्ड अधिकारी खासा परेशान नजर आ रहे हैं। जंगल विभाग के उच्च अधिकारी ने फतवा जारी कर दिया है कि मटेरियल सप्लाई भले ही फील्ड में अठन्नी का हो पर खर्चा को रुपैय्या दिखाना हैं,तभी तो फील्ड अधिकारी परेशान हैं। सामग्री के बिल में साइन न करने वाले अधिकारियों को बाकायदा उच्च अधिकारी फोन कर दबाव पूर्वक दस्तखत कराए जा रहे हैं।
हालांकि वन विभाग में पहले भी ऐसा ही होता था दो क्विंटल रॉड का दस क्विंटल का बिल बनाता रहा है। लेकिन, अब जो अतिरिक्त सामग्री का बिल साइन हो रहा है उसमें फील्ड के लोगों को बंटवारा नहीं मिल रहा है। तभी तो इस बात को लेकर डिवीजन में कई बार रेंजर और डीएफओ के बीच तनातनी हो चुकी है। खैर अभी तो बिना ऊपर चढ़ावा के फंड में नहीं मिलता तो करें क्या?
उड़ती खबर तो यह भी बिना टेक्निकल ज्ञान लिए इंजीनियरी सीखने वाले वनकर्मियों के बदौलत बड़ा खेल की तैयारी है। इसके लिए बाकायदा नई दिल्ली तक में पहुंची रखने वाली एक कांग्रेस नेता 2 करोड़ दस लाख देने की अनुसंशा भी कर डाली है। इससे जाहिर है डीएमएफ की राशि आपस में बांटने का खेल खेला जाएगा।

पूरा शहर होलियाना मूड में, रंग बिरंगे पोस्टरों की बहार

काले हीरे की धरा पर वसुंधरा में अब रंगों की बहार है भरमार हैं। दुकानें, छत रूपा, एयरटेल और ओप्पो के बैनर और बिल बोर्डों से पटी पड़ी हैं। बिजली के खंभों पर अब तारें कम और रंग-बिरंगे नोटिस बोर्ड ज़्यादा नज़र आते हैं।
नया चाउमीन सेंटर, स्वीट्स और छह सप्ताह में धारा प्रवाह अंग्रेज़ी बोलने और एक दिन में ही 60 बरस के बूढ़े को विग से तत्काल जवान कर देने का करंट पूरे शहर में दौड़-सा गया है।
होर्डिंग्स पर कभी अंबुजा सीमेंट का बाहुबली दिखता है तो कभी क्रीम का प्रचार करती मोहनी मुस्कान। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ अब  मोबाइल भी जोड़ा जा रहा है।शहर में सब कुछ तेजी से बदल रहा है और नहीं बदली है तो मात्र नीतियां।
अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के मेयर जरूर बदले गए हैं बदलने से अक्स ज़रूर बदले लेकिन ढर्रा नहीं बदला, शहर के रंगे पुते चेहरे बदले लेकिन भंग का मजा व्हिच….. है।

 अबीर गुलाल और गोबर गुलाल

रायपुर में इस बार होली का हल्ला भाजपा में ज्यादा दिखा, पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद 10 तारीख को जब टीवी में चुनाव की नतीजे आ रहे थे बीजेपी नेताओं ने करीब साढ़े तीन साल बाद असल होली मनाई। इस बार अबीरगुलाल के साथ जमकर मुंहजोरी हुई, मन का भड़ास निकलने का मौका बड़े दिन मिला था इसलिए भाजपाई कोई कमी नहीं करना चाहते थे। लेकिन इस बार कांग्रेस में होली का वो उल्लास नहीं दिख रहा है जो 10 तारीख के पहले तक दिख रहा था। जनता से पटखनी खाए कांग्रेस नेता इस बार बाजार में मिलने वाले अबीर गुलाल की जगह छत्तीसगढ़ के गोबर से बना गुलाल से बीजेपी नेताओं को पोतने की तैयारी में लग गए हैं। दरसअल छत्तीसगढ़ के गाय और गोबर से दिल्ली तक एनर्जी पहुंच रही है, और कांग्रेस नेता अलग विधानसभा चुनाव तक इसे छोड़ना नहीं चाहते।

 

                 0 अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा