होली स्पेशल: छत्तीसगढ़ के इस गांव में 12वीं सदी से नहीं हुआ होलिका दहन, जानें किस श्राप की वजह से शुरु हुई परंपरा

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न्यूज डेस्क: देश में अलग-अलग राज्य में होली का त्योहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का एक गांव ऐसा है जहां होली (Holi 2021) मनाने की एक अजीब से परंपरा है। यहां होली तो हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन यहां कभी भी होलिका दहन नहीं होता। जीहां हम आपको बता रहे हैं धमतरी गांव की इस अनोखी परंपरा के बारे में। यहां होली एक अलग अंदाज में मनाई जाती है। यहां 12वीं शताब्दि से होलिका दहन न करने का प्रचलन चला आ रहा है।

कैसे हुई शुरुआत

गांव के एक बुजुर्ग ने इस प्रथा के बारे में बताया कि 12वीं सदी में एक व्यक्ति तालाब का पानी रोकने गया था और उस रात उसकी मौत हो गई। यह बात जब उसकी पत्नी को पता चली तो वह सती हो गई, इसके बाद से ही इस गांव में उसे पूजा जाने लगा। आज तक जिसने भी गांव में सती माता को नाराज किया है उसकी जान चली गई है या फिर उसे अपनी जिंदगी में भारी कष्ट सहने पड़े हैं। इसी कारण गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता। इस परंपरा को आज तक निभाया जा रहा है।

दशहरे में नहीं जलाया जाता रावण

ऐसा नहीं है कि इस गांव में होली का ही जलना मना है. गांव में न तो होली जलती है और न ही रावण जलाया जाता है। गांव में चिता को जलाना भी सख्त मना है। गांव के लोगों का कहना है कि अगर कोई ऐसे काम करता है को पूरे गांव में संकट आ जाता है और उस व्यक्ति को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।