आपने सावन मास में जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं को बोल बम-बोल बम के नारे लगाते सुना होगा पर इन दिनों उर्जाधानी की सभी दिशाओं में कोल बम की गूंज सुनाई दे रही हैं। चौक चौराहे से लेकर चाय की दुकान और पान ठेलों में लोग वायरल वीडियो को देखते हुए चटखारे ले रहे हैं। ले भी क्यों न क्योंकि अभी भी केजीएफ-2 का खुमार लोगो को चढ़ा हुआ है और अब ऊपर से कोयला खान की वीडियो तो लोग तो मौका का फायदा उठाएंगे ही ! खैर कोयले की खान में कोयला चोरी कोई नई बात नही है, पूर्व में भी प्रबंधन के इशारे पर करोड़ो का कोयला निकलता रहा है जिसमें कोयलांचल के कुछ मंझे हुए खिलाड़ी शामिल थे और छत्तीसगढ़ियों की धरती को लूट कर देश के अलग-अलग राज्य में भोग विलास के महल खड़ा कर लिए। तो कुल मिलाकर कोयले के इस खेल में कुछ नया नहीं है। कोयले की चर्चा को लेकर राजेश खन्ना की फ़िल्म अमर प्रेम का एक गीत याद आ रहा है *कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना …!* इस गीत की गहराई में जाये तो एक बात सामने आती है और वह यह कि *कुछ रीत जगत की ऐसी है हर एक सुबह की शाम हुई* कहने का मतलब यह है कि कोयला के काले व्यापार का विषय कुछ इस तरह से उलझा हुआ है जैसे साफ पानी में बादल फटने से बाढ़ आई हो और अचानक ही पानी मटमैला हो गया हो, सो कारोबार से जुड़े लोग अब सुबह के इंतजार में है यानी मिट्टी का गर्दा कब बैठ जाये और कारोबार फिर से शुरू हो।
एक टिकट में दो पिक्चर
पुलिस विभाग में इन दिनों एक टिकट पर दो पिक्चर की चर्चा खूब हिलोरे मार रही है । हुआ ही कुछ ऐसा कि चर्चा तो होगी ही। दरअसल हाल में हुए शार्ट ट्रांसफर लिस्ट के बाद लोगों के जुबान पर एक टिकट और दो पिक्चर याद आ रहा है। वैसे तो उर्जाधानी के ऊर्जावान कप्तान काबिलियत देखकर विभाग के अधिकारियों से काम ले रहें हैं। यही वजह है कि पूरे जिले की कमान देख रहे साइबर एक्सपर्ट को चौकी का भी प्रभार सौंपा। सो विभाग में गुटबाजी तो स्वाभाविक ही है। वैसे भी साइबर सेक्शन में दो प्रभारियों की चर्चा पहले से थी और अब साहब का कद बढ़ा दिया गया है तो विरोधी खेमें की धड़कन तो तेज होना ही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अब शहर के लॉ एंड ऑर्डर को दुरुस्त करने के लिए नए सिरे से काम होगा। चलिए सही भी है, कम से कम शहर के अपराधियो में खाकी का खौफ तो रहेगा।
जब निकल पड़े दो यार, फिर शुरू होता है व्यापारियों से व्यापार…
बेग पाइपर के सोडा का विज्ञापन जब अजय देवगन कहतें हैं ” जब मिल बैठे तीन यार आप मैं औऱ …” उसी तर्ज पर जिले के फूड इंस्पेक्टरों की एक जोड़ी काम करते दिख रही है और लोग कहने लगे है कि जब निकल पड़े दो यार, फिर शुरू होता है व्यापार ! दरअसल खाद्य विभाग में चल रहे चावल माफियाओं पर मेहरबान व्यापार का खेल बड़े चावल तस्करों को फायदा दिलाने के लिए है, इसकी आड़ में अधिकारी ऐसे छोटे-छोटे व्यापारियों को निशाना बना रहे है जो किराने का सामान बेचकर जीविकोपार्जन करते हैं। विभाग के ये दो अधिकारी बिना किसी उच्च अधिकारी के कही भी घुसकर चेकिंग और पद की धौंस देकर इनसे व्यापार करने में लग जाते है और यह भी निश्चित है कि इसकी शिकायत छोटे व्यापारी उच्च अधिकारियों से करने से डरते है जिसका फायदा ये बखूबी उठा रहे है। तभी तो इनके द्वारा पकड़े गए चावल को ये खुद गांधी दर्शन के बाद बिक्री का चावल बना देते है। खबरी लाल की माने तो पी.डी.एस. का चावल जब्त तो किया जाता है पर उसे गांधी दर्शन के बाद बिक्री के लिए रखे चावल का प्रतिवेदन तैयार कर दिया जाता है जिससे जब्त चावल बिना कार्रवाई के छूट जाता है। मतलब साफ है खाद्य विभाग का काम…आम के आम और गुठलियों के दाम…! के आधार पर चल रहा है।
स्टेटमेंट..सेवा..हंगामे की लहर पर 4 डॉक्टरो की चुनावी डगर…
विधानसभा नजदीक आते ही सभी राजनैतिक पार्टियों के नेताओ की सक्रियता बढ़ जाती है। ऐसा ही सक्रियता इन दिनों उर्जाधानी में देखने को मिल रहा हैं। शहर में चार डॉक्टरों की चुनावी डगर की चर्चा सुर्खिया बटोर रही है। सही भी है पेशे से डॉक्टर मतलब भगवान का दूसरा रूप, मतलब कमाई वाला व्यापार ! मगर रुतबा नेताओ के जैसे कि चलो नेतागिरी को भी आजमाया जाए। एक डॉक्टर तो विपक्षी पार्टी की भूमिका में किसी भी गंभीर विषय पर स्टेटमेंट जारी करते है और दबे पांव स्टेटमेंट जारी करने की आड़ में अपना स्टेटस बढ़ाकर टिकट की दावेदारी भी मजबूत कर रहे हैं। दूसरे डॉक्टर है सेवा भाव में विश्वाश करने वाले तभी तो वे सेवा भारती से जुड़कर सामाजिक कार्यो में हाथ बंटा रहे है इसी बहाने चलो टिकट मिल जाये जनसेवक की भी भूमिका निभा लिया जाए। तीसरे डॉक्टर है सामाजिक कार्यो से बंधे है और पूर्व में भी चुनाव लड़कर भाग्य आजमा चुके है। वे भी टिकट की कतार में खड़े हैं। अब चौथे डॉक्टर की बात करें तो ये महाशय राजनीति के शिकार होने के बाद मैदान पर उतरे है। इन्हें नेता बनाने का श्रेय पूर्व गृहमंत्री को जाता है। हॉस्पिटल में हंगामा हुआ तो पूर्व गृहमंत्री धरने पर बैठे और कार्रवाई के लिए अड़ गए । गृहमंत्री के आगे प्रशासन की एक न चली और हॉस्पिटल में प्रशासन को ताला लगाना पड़ा। इसे देखते हुए खुद डॉक्टर ने आप की सदस्यता लेकर चुनावी मैदान में ताल ठोक दिया है।