कोरबा शहर में एक ऐसा आंदोलन भी हुआ जिसकी चर्चा अब तक लोगों के जुबां पर है। इस आंदोलन में पूर्व आईएएस की गिरफ्तारी की मांग करते हुए तख्ती पकड़ कर सफाई दे रहे थे..और कह रहे थे हम चोर नहीं है… हालांकि इस आंदोलन को लीड कौन कर रहा था ये अब तक साफ नही हो पाया है। हां ये बात अलग है कि आंदोलन को हिट करने का हर संभव प्रयास किया गया था। असल में बुधवार को अचानक कोसाबाड़ी चौक और एसपी कार्यालय के समीप दोनों तरफ बैरीगेटिंग लगा। आम जन को तो छोड़िए ड्यूटी कर रहे जवानों को भी नहीं पता कि कौन सी पार्टी का आंदोलन होने वाला है। कोई भाजपा का तो कोई कांग्रेस का समझता रहा।
हां ये बात अलग हैं कि पुलिस महकमा के बड़े अधिकारियों को आंदोलन की रूप रेखा की जानकारी थी। तभी तो आंदोलनकारी जब कोसाबाड़ी पंहुचे तो विभाग के अधिकारी ने कार में जाकर बैठ गए। क्योंकि उनको पता था कि आंदोलन में क्या होने वाला है। खैर अब इस आंदोलन को लोग समझने का प्रयास कर रहे है आखिर था किसका?
जंगल में मोर नाचा, किसने देखा..
सच और झूठ को लेकर अक्सर यह कहावत सुनने को मिलती है कि जंगल में मोर नाचा, किसने देखा…. इस कहावत को कोरबा फारेस्ट डिवीजन पूरी तरह से फालो करता है। तभी तो जंगल में करोड़ों का तालाब और सड़क बना दिया गया, वो भी बिना रोलर के। खबरीलाल की माने तो मुख्यालय के अलग अलग क्षेत्रों में डब्ल्यूबीएम की 6 से 8 सड़कें बनी हैं। कच्ची सड़क बनाने के लिए रोलर के साथ कंपेक्शन के लिए पानी यानी टैंकर का उपयोग अनिवार्य होता है, लेकिन ये बात भला वन विभाग के अधिकारियों कौन बताए कि सड़क बिना रोलर के साथ पानी के बनाना मतलब रोड के नाम पर खाना पूर्ति करने वाली बात है। उड़ती खबर तो यह भी है कि विभाग में आई एक तेज तर्रार रेंजर ने सामग्री वाउचर में साइन करने के पहले सवाल जवाब कर दिया, फिर क्या था सामग्री सप्लाई करने वाले ठेकेदार के हाथ पांव फूलने लगे हैं और अब धीरे धीरे विभाग की गड़बड़ियां उजागर होने लगी हैं।
टेण्डर गेम में उलझे वेंडर…
जिले के अधिकारियों के टेण्डर गेम में वेंडर यानी ठेकेदार उलझ कर रह गए हैं। बिना नियम निविदा में लग रहे कंडीशन के ताप की आंच अब निगम में भी पहुंच चुकी है। पहुंचे भी क्यों नहीं.. क्योंकि वही इंजीनियर निगम में भी मुख्य किरदार निभा रहे है जो ट्राइबल में जाकर विभाग को उलझा रहे हैं।
आदिवासी विभाग में कंडीशन लगाकर निविदा तो जारी कर दिया, पर बिना नियम को लेकर कोर्ट में चैलेंज भी किया गया। जो फिलहाल लंबित है लेकिन, कोर्ट के डिसीजन की परवाह किए बिना वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है.. और तो और जनाब वर्क ऑर्डर को मैनेज करने के लिए विभाग के चर्चित बाबू ने शहर के होटल में मीटिंग लिया और ठेकेदारों के बीच काम बांटकर विभाग के अधिकारी को खुश करने में कामयाब रहा।
हालांकि अभी भी कोर्ट में गलत ढंग से जारी किए गए निविदा का मामला लंबित है। इसके बाद अब वही खेल निगम के कामों में भी खेलने की तैयारी की जा रही है और उल्टे सीधे नियम डालकर चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने का खेल जारी है। हालांकि बिना नियम के लगे कंडीशन का विरोध नियमतः शुरू हो गया है। अब अधिकारी और ठेकेदारों बीच ठन गई है। जिस अंदाज में कंडीशन लगाकर टेण्डर बांटने का खेल चल रहा है उससे तो अब ऑनलाइन टेण्डर और एकल खिलाड़ी का कॉन्सेप्ट फेल साबित हो रहा है।
राज की नीति का मंथन…
शहर में पिछले दिनों सत्ता दल और विपक्ष के बड़े लीडरों का जमावड़ा रहा। एक ने प्रदेश में खोई हुई सत्ता को पाने यानी राज की नीति के लिए मंथन किया तो सत्ता पक्ष के नेताओं ने बिखरे कुनबे को एकसूत्र में पिरोने का! हालांकि इस मंथन में एक युवा नेता ने इमोशनल होकर अपनी मन की पीड़ा का बखान कर ही दिया। उन्होंने कहा कि संगठन की ओर से जब जो भी जवाबदारी दी गई, उस पर मैं खरा उतरने के लिए हरसंभव कोशिश किया, पर इसका इनाम यह मिल रहा है कि मुझे ही पुलिस व प्रशासन प्रताड़ित कर रही। यह बोलते हुए वे भावुक हो गए और मंच पर ही गला भर गया।
दूसरी तरफ बिहार सरकार के मंत्री ने आकर प्रदेश सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए यहां तक कह डाला कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ही नहीं… वे यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और सच का मुंह काला है। अब यह तो राजनीति में नीति ही है जो कभी अपने ही हाथों से अपनों का मुंह काला कर देती है, कभी मलाई खिलाकर लाल कर देती है तो कभी पीला-सफेद भी कर जाती है.. किसी के मुंह पर मलाल होता है तो किसी के माथे पर गुलाल….।
महुआ झरे…मंत्री झूमे
बादल घिरे और मोर नाचे तो सभी ने सुना होगा पर महुआ झरे और मंत्री झूमे इस सपने को सच होते शादी कार्यक्रम के रिसेप्शन में सभी ने देखा। महुआ झरे…में मंत्री के साथ के कुछ विधायक भी जमकर झूमे…ऐसा लगा रहा था कि महुआ झरा कि नहीं सभी के होश खो गए।
जीहां बात उन्हीं मंत्री महोदय की हो रही है, जिन्हें महुआ से ज्यादा प्रेम है तभी तो महुआ का नाम सुनते ही मंत्रीजी झूमने लगते हैं। इससे पहले भी कई बार वो झूमते झूमते प्रदेश में शराब बंदी को बेतूका बता कर सरकार को झूमा चुके हैं।
मंत्रीजी झूमने का कोई मौका नहीं छोड़ते, जब भी मौका मिला वो झूमने लगते हैं। इस पूरे डांस का वीडियो अब वायरल है। जिससे लेकर सभी ओर महुआ झरे…मंत्री नाचे की चर्चा है।