कोरबा। जिला चेम्बर ऑफ कॉमर्स कोरबा के पूर्व अध्यक्ष रामसिंह अग्रवाल ने जिले में लंबे समय से चल रही खाद्यान्न की अफरी तफरी की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
चेम्बर के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि कोरबा जिले में पिछले 10 साल से शासन के सस्ते राशन की हेरा फेरी हो रही है। जिले में राशन दुकान से लेकर राईस मिल तक और कोरबा से लेकर भाटापारा तक राशन माफिया का जाल बिछा हुआ है। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र के 80 फीसदी राशनकार्ड का चावल, राशन दुकानदार, ट्रांसपोर्टर अथवा अन्य दुकानों में 15 से 16 रुपये किलो में बिक जाता है। गरीब तबके के लोग भी मोटा चावल बेचकर, उसके बदले एच एम टी खरीद कर खाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में 70 फीसदी लोगों को ही राशन का वितरण हो पाता है। शेष उपभोक्ताओं का राशन ब्लेक में बिक जाता है, जिसे ट्रांसपोर्टर सहित कुछ अन्य लोग सस्ते में खरीदकर ऊंचे दाम में बेचते हैं। इसके अलावा राशन दुकानदार और खाद्य निरीक्षक की मिलीभगत से फर्जी रिपोर्टिंग कर शेष स्टाक को बाजार में बेच दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि शासन का सस्ता राशन विभिन्न माध्यमो से राईस मिल में चला जाता है, जो फिर से बोरीबन्द होकर कस्टम मिलिंग के रूप में शासन के गोदाम में जमा हो जाता है। उन्होंने बताया कि कोरबा और कटघोरा के कई राईस मिल मालिक इस घोटाले में शामिल हैं। इसके सिवाय बड़ी मात्रा में शासन का सस्ता मोटा चावल तस्करी कर भाटापारा भेजा जाता है। वहां मोटा चावल की पालिस कर उसे एच एम टी यानी पतला बनाया जाता है और वही चावल एच एम टी बताकर सामान्य राशन दुकानों में बेचा जाता है। कोरबा में बड़ी मात्रा में नकली एच एम टी चावल अलग अलग ब्रांड के नाम से बेचा जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरा गोरखधंधा खाद्य विभाग के अधिकारियों की जानकारी और संरक्षण में चलता है। उन्होंने कहा है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होने पर करोड़ों रुपयों का राशन घोटाला अकेले कोरबा जिले में उजागर हो सकता है। लिहाजा कोरबा जिले के राशन घोटाले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।