Now wake up sir: अब तो जागिए श्रीमान… रोजगार की तलाश में हो रहा पलायन

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रायपुर।गांव-गांव में घूम रहे दलाल, जो अच्छी मजदूरी और बेहतर सुविधा का वायदा कर, महाराष्ट्र और दिल्ली भेज रहे हैं, खेतिहर श्रमिकों को। अग्रिम राशि की जैसी व्यवस्था बनाई हुई है उससे मजदूरों का पलायन शुरू हो चुका है। इसमें प्रशासन का भी सहयोग मिलने की खबर आ रही है।

अभी तो शुरू ही हुआ है फसल कटाई का काम। कम से कम एक माह चलने वाले इस काम के बाद रबी फसल की भी तैयारी करनी होगी। सवाल उठ रहा है कि जब शहर और गांव में काम के भरपूर अवसर मिल रहे हैं तब पलायन का यह सिलसिला अभी से कैसे चल पड़ा है? ऐसी प्रतिकूल स्थिति पर करीब से नजर रखने वालों का साफ कहना है कि सिस्टम का साथ इसे बढ़ा रहा है।

 

यह कैसी जिम्मेदारी

 

फरमान है सरकार का। रोजगार की फौरन व्यवस्था करें ताकि रोजी-रोटी की तलाश में घर छोड़कर अन्य प्रांत जाना ना पड़े लेकिन सिस्टम, फरमान के ठीक उलट काम कर रहा है। पर्व की खुमारी के बीच रोजगार के अवसर अब तक नहीं मिल रहे हैं। हद तो तब, जब होते पलायन को देख कर भी कुछ नहीं किया जा रहा है। कब जागेंगे जिम्मेदार ?

 

कार्यशैली पर उठते सवाल

 

शहर और ग्रामीण पुलिस। सुस्त पुलिसिंग के लिए जानी जा रही है। ग्राम स्तर पर खोज-खबर रखना है लेकिन खुलेआम गांव- गांव में घूम रहे मजदूर दलाल, प्रमाण हैं कि ग्रामीण पुलिस ने आंखें मूंद रखी है। शहर पुलिस। इसका कार्यालय स्टेशन के ठीक सामने हैं। नजर में आना चाहिए, पलायन करते ग्रामीण लेकिन जैसा मौन साध रखा है, उससे एक साथ कई सारे सवाल उठ रहे हैं।

शीर्ष पर है जिला

दर्जनों वृतांत मिल जाएंगे इस बात के, कि हमारा बलौदा बाजार जिला पलायन के मामले में शीर्ष पर है। जिस तरह खुली छूट मिली हुई है, उसे देखकर लगता नहीं कि हमारे जिले को मात मिलेगी क्योंकि सहयोगी जिलों से यहां, कहीं ज्यादा साथ मिलता है, और मिल भी रहा है। आगे भी मिलता रहेगा।

इस राज्य के लिए ज्यादा

 

पलायन करने वाले मजदूरों के लिए महाराष्ट्र पहली पसंद रहा है। दूसरे नंबर पर जम्मू और दिल्ली का क्रम तीसरा है। पहली बार, पहले के दो प्रदेश को पीछे छोड़कर दिल्ली आगे चल रहा है। यानी दिल्ली जाने वाली ट्रेनों के लिए सबसे ज्यादा टिकट मांगे जा रहे हैं। यहां पर भी प्रशासन का भरपूर सहयोग मिलता देखा जा सकता है।