टैटू भी अब जेब करेगी ढीली जरूरी रसायनों का आयात बंद, मांग बढ़ी, स्याही हुई महंगी

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बिलासपुर- आयात के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। इसलिए टैटू की स्याही मे उबाल आने लगा है। स्पष्ट है कि टैटू के शौकीनों को अब इसके लिए ज्यादा पैसे देने होंगे।

टैटू। एक ऐसा फैशन जिसने नौजवानों के बीच मजबूत जगह बना ली है। फिल्मों और टी वी में आने वाले शो ने इसे जैसा बढ़ाया है, उसके बाद टैटू इंक उत्पादन करने वाली ईकाईयों का परिचालन समय बढ़ गया है क्योंकि चौतरफा मांग निकल रही है लेकिन यह ईकाइयां इस समय इसलिए परेशान हो रहीं हैं क्योंकि टैटू इंक उत्पादन के लिए जरुरी रसायन का आयात बंद हो चुका है।यूरोपीय यूनियन के रास्ते आने वाला केमिकल भी प्रतिबंध का सामना कर रहा है।

जरूरी यह रसायन

टैटू इंक बनाने के लिए यूनिटों को एजोडाईस,कार्सियोजैनिक एरोमेटिक एमाईक्स और मैथनाल के लिए यूक्रेन सहित ऐसे देश की जरूरत होती है जो इनका उत्पादन करते हैं लेकिन इन रसायनों को मानव शरीर के लिए घातक माना जा चुका है। लिहाजा अंतरदेशीय आयात पर बंदिश लगी हुई है। इसलिए टैटू बनाने वालों को बेहद ऊंची कीमत देकर खरीदी करनी पड़ रही है।

अब यह कीमत

टैटू इंक की दो किस्में आती हैं। इसमें लाईफ टाईम और शार्ट टाईम इंक मुख्य है। मांग, लाईफ टाईम इंक में ज्यादा है। इसलिए तेजी के पूर्व तक 1500 से 3000 रुपए में मिलने वाला इंक अब 2000 से 4000 रुपये की कीमत में खरीदा जा रहा है। शार्ट टाईम याने तीन से चार दिन रहने वाला इंक,200 रुपए की तेजी के बाद एक हजार रुपए की नई कीमत के साथ अपनी मौजूदगी दिखा रहा है।

असर यहां पर

36 मॉल में महेंद्र टैटू के नाम से संस्थान चला रहे अजीत सिंह का कहना था कि टैटू इंक की कीमत जैसी बढ़ी है, उसके असर से काम के लिए ली जाने वाली दरें भी बढ़ानी पड़ी है। इसे ज्यादा तो नही कहा जाना चाहिए लेकिन शौकीनों के बीच नई दर अधिक मानी जा रही है। इसलिए टैटू बनवाने के लिए आने वाले नौजवानों की संख्या निश्चित ही कम हो रही है।