Korba : पटवारीनामा.. पहले बना रहे चौहद्दी, वायरल होते ही कहते है दस्तखत मेरा नही..तो किसके हैं..??

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कोरबा। शहर की बेशकीमती जमीनों की पहले तो पटवारी चौहद्दी जारी कर रहे है और सोशल मीडिया में ट्रेंड करने पर अपने हस्ताक्षर होने से स्पष्ट रूप से मुकर जा रहे है, तो आखिर चौहद्दी में दस्तखत किसके हैं और फर्जी हस्ताक्षर करने वालो पर कार्रवाई क्यों नही हो रही?

बता दें कि भूमाफियाओ के साथ कदमताल कर रहे राजस्व अधिकारियों के एक से बढ़कर एक कारनामें सामने आ रहे हैं। ताजा प्रकरण कोरबा पटवारी हल्का का है जहां एक बार फिर चौहद्दी को लेकर बवाल मचा हुआ है। जमीन रजिस्ट्री के लिए बने चौहद्दी को फर्जी घोषित कर दिया गया है। मजे वाली बात यह है कि इससे पहले भी फर्जी चौहद्दी के आधार पर रजिस्ट्री हुई है। मामले की जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार ने माहौल बनाया और एफआईआर दर्ज करने की बात कही लेकिन प्रकरण को एक माह बीतने के बाद भी न तो रजिस्ट्री शून्य घोषित किया गया है औऱ न ही एफआईआर दर्ज कराया गया है। इससे स्पष्ट है कि राजस्व विभाग की सांठगांठ से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री का धंधा फल फूल रहा है।

पहले भी पटवारी के चोरी(?) गए सील से बन चुका है दस्तावेज..!

उर्जानगरी के ऊर्जावान जमीन दलालो ने बड़े बड़े कारनामे करते हुए गलत दस्तावेज तैयार कर रजिस्ट्री करा दी है। पूर्व में पटवारी की सील चोरी कर भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार करने की थ्योरी लिखकर बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करा दी थी। हालांकि षड्यंत्र पूर्वक पटवारी का सील लगाकर, कूटरचित हस्ताक्षर कर करोड़ो की जमीन की बिक्री के मामले में अब तक  कोई ठोस कार्रवाई नही हुई है। भूमाफियाओं पर कार्रवाई के अभाव में जमीन खरीद फरोख्त में लगे जमीन दलालो के हौसले चरम पर है।

ये भी मामला है जांच के दायरे में

डीडीएम रोड में खसरा नम्बर – 670/4 की आदिवासी भूमि को सामान्य बनाकर ऊंची कीमत पर बिक्री किया गया है। इसी तरह खसरा नम्बर – 669 की जमीन को बिना रजिस्ट्री के नामान्तरण करा लिया गया है । यही नही शारदा विहार के समीप खसरा नम्बर – 348 की सीएसईबी की जमीन को निजी बनाकर बेचा गया है। सूत्र बताते है कि खसरा नम्बर – 302/2/घ के जमीन को टुकड़ा में बांटकर 6 फर्जी रजिस्ट्री की गई है। व्यापक स्तर पर हुए जमीन फर्जीवाड़ा में बस्ती के एक जमीन दलाल का नाम सुर्खियों  में है।