0 स्याहीमुड़ी में करोड़ों रुपए कीमती निगम क्षेत्र की सरकारी भूमि को कौड़ियों के भाव में बेचने का मामला, कलेक्टर से की गई शिकायत
कोरबा। करोड़ों रुपए कीमती निगम क्षेत्र में सराकारी जमीन को कब्जा कर बेचे जाने का मामला सामने आया है। स्याहमुड़ी में एक बरसाती नाले को पाट कर पहले कब्जा कर लिया गया। बिना किसी शासकीय अनुमति के तालाब निर्माण के बहाने कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है। इससे एक ओर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही तो दूसरी ओर बारिश का मौसम आते ही करीब की बस्ती में जल भराव का खतरा पैड किया जा रहा है। मामले में कलेक्टर से शिकायत की गई है। कार्रवाई न होने पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाने की चेतावनी भी दी गई है।
बरसाती नाला पाटकर तालाब निर्माण व शासन की भूमि का विक्रय करने की यह शिकायत स्याहीमुड़ी निवासी नीरज शर्मा ने की है। इसमें कहा गया है कि नगर पालिक निगम कोरबा क्षेत्र अंतर्गत वार्ड क्रमांक 45 ग्राम स्याहीमुड़ी पूर्व माध्यमिक शाला आंगनवाड़ी स्वास्थ्य केंद्र के ठीक पीछे स्थित शासकीय भूमि पर बरसाती नाला को बंद कर लगभग 1 एकड़ से अधिक भूमि पर अवैध कब्जाकर तालाब का निर्माण किया जा रहा था। जानकारी लेने पर ग्राम के ही कमल देव सिंह तवर व कुजूर नामक व्यक्ति द्वारा उक्त कृत्य को अंजाम दिया गया।
क्योंकि कुछ दूर पर ही इनकी थोड़ी सी जमीन है। जिसके चलते लोगों को गुमराह कर शासकीय भूमि पर तालाब निर्माण शासकीयभूमि का विक्रय लगातार किया जा रहा है। जिसकी अनुमति शासन से नहीं ली गई है। नगरीय निकाय क्षेत्र की बेशकीमती जमीन कौड़ियों के भाव बेचकर कर शासन को लाखों करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। गांव के नागरिकों के विरोध करने पर काम बंद कर दिया गया है। ग्रामीण जनों द्वारा कलेक्टर कार्यालय में जनदर्शन के माध्यम से शिकायत की गई थी। किंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे कब्जाधारियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। शासन के नियमों को ताक में रखकर इतना बड़ा कदम उठाया जा रहा है। बरसात का मौसम सिर पर है। अगर उक्त भूमि को समतल नहीं किया गया तो निचली बस्ती रामनगर में बरसात के समय डुबान की स्थिति बन सकती है। जिसकी पूरी संभावना है। बड़ी जनहानि होने की भी आशंका है। जिसके मद्देनजर ग्राम में रोष व्याप्त है। ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्व अमले के निचले स्तर के कुछ कर्मचारी इस कार्य में संलिप्त हैं। उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गई है। आवेदन पर समय सीमा के अंदर निराकरण ना होने की स्थिति पर शिकायतकर्ता द्वारा उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका लगाए जाने की बात कही गई है।