केंद्र को नई खदानें आवंटित करने की जल्दी, सीएम भूपेश ने कोल ब्लॉक की नीलामी रोकने कसी कमर

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0 नई कोयला खदानों के खुलने से छत्तीसगढ़ की प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु के लिए खतरा उत्पन्न होने की बात से चिंतित भूपेश सरकार ने केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी पक्ष रखा है।

कोरबा। केंद्र शासन जहां प्रदेश में नौ नए कोल ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने को तत्पर दिखाई दे रहा है, वहीं प्रदेश सरकार कोल ब्लॉक्स की नीलामी रोकने में जुब्ह है। एक तरफ केन्द्र को राजस्व और माइनिंग का लाभ लेने की जल्दी है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुनाफाखोरी को रोकने के लिए पूरी ताकत से जुटे हैं। नई कोयला खदानों के खुलने छत्तीसगढ़ की प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु के साथ वन्य जीवों पर खतरा उत्पन्न होने से चिंतित है। यही वजह से जो सीएम भूपेश ने कोल ब्लॉक प्राप्त करने वालों को रोकने के लिए कमर कस ली है। राज्य सरकार का कहना है कि केन्द्र द्वारा खदानों को आवंटित करने की जल्दी में प्रदेश की 9 कोयला खदानों से संरक्षित वन्य जीवों, पहाड़ों, जंगलों और नदियों के लिए उत्पन्न होने वाले खतरों को अनदेखा कर रही है। इस मुद्दे को लेकर हसदेव कोल ब्लॉक की स्थिति को देखते हुए केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा है।

केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 9 बड़ी कोयला खदानों का आवंटन करने तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर रोक लगाने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखने प्रयास तेज कर दिया है। भूपेश सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि उक्त खदानों के आवंटन और कोयले की खुदाई से प्रदेश के जंगल नदी पहाड़ और पर्यावरण के अलावा संरक्षित वन्य जीवों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य के कोयला खदानों के संबंध में विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं को आधार रखते हुए प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासनए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के माध्यम से विभागीय पात्र भी प्रेषित किया है। जिसमे उच्चस्तर से प्राप्त निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ की कुल 09 कोल ब्लॉक नीलाम के संबंध में संशोधित संक्षिप्त विवरण आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश किया गया है। भूपेश सरकार अब प्रदेश के इन कोल ब्लॉक लेने वालों को रोकने में जुट गई है। हसदेव कोल ब्लॉक आवंटन के बाद बहुत बड़ा इलाका गड्ढों में तब्दील हो गया है। भारत सरकार द्वारा नीलामी में रखी गईं छत्तीसगढ़ की 09 कोयला खदानों को भूपेश सरकार बचने के लिए सक्रिय हो गई है। जिस तरह हसदेव कोल ब्लॉक्स अडानी को मिलने के बाद से जल जंगल जमीन और पर्यावरण का संतुलन गड़बड़ाने लगा है। अब ऐसी स्थिति प्रदेश के वन क्षेत्रों की नहीं हो इसके लिए उक्त 9 खदानों के आवंटन से कहां कैसा खतरा उत्पन्न होगा इसकी मंशा कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख सचिव नेने बिंदुवार उल्लेखित किया है। इस पर रोक लगाने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा गया है। संरक्षित वन्य जीवए नदी के अस्तित्वण् पर्यावरणीय भू.स्थितिक परिवर्तन और नियंत्रण गड़बड़ानेए पहाड़ी इलाकों और कई लाख वृक्षों के कटने का खतरा बताया। भूपेश सरकार केंद्र को छत्तीसगढ़ की जलए जंगल और जमीन को बचने का इमानदार प्रयास करने में जुट गई है।

बीजेपी के रमन सरकार के कार्यकाल में आवंटन
अदाणी समूह और उनके सहयोगी संस्थान छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान यहां आए। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के शासनकाल में देश के बड़े और केंद्र सरकार में ऊंची पहुंच वाले उद्योगपतियों ने यहां पैर जमा लिया है। अब प्रदेश के जल जंगल जमीन और पर्यावरण संतुलन को नेस्तनाबूद करने के लिए एक बार फिर 9 कोल ब्लॉक पर नजर है। इनको किसी को बेचे जाने की कोशिश के बाद से ही छत्तीसगढ़ शासन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय जलवायु एवं पर्यावरण विभाग से लेकर ऊपर तक प्रयास शुरू कर दिया है।

इन 9 कोल खदानें पर उद्योगपतियों की है नजर

केंद्र सरकार उक्त कोल खदानों को बड़े उद्योगपतियों और अन्य को देना चाह रही है। जिस तरह इस कोल ब्लॉक्स को आवंटित करने से सिर्फ केंद्र नहीं राज्य सरकार को भी बेशुमार मुनाफा होगा। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय महकमा और केंद्र सरकार तो एक तरह से तत्पर है लेकिन भूपेश सरकार प्रदेश के पर्यावरण और जल जगंल जमीन के लिए संवेदनशील कोल ब्लॉक्स को आवंटित करने से रोक रही है। तारा कोयला खदान, कोरकोमा कोयला खदान, कोइलर खदान, तेंदुमुड़ी खदान,जिल्गा कोयला खदान, बरपाली कर्मी टिकरा कोयला खदान, बताती कोलगा नार्थ ईस्ट कोयला खदान, फतेहपुर साऊथ कोयला खदान।