Korba : भ्रम पैदा करने की साजिश कर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हाजी एखलाक

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0 मरकजी सीरत कमेटी के सदर पर लगाए गए आरोपों पर का मिर्जा आसिफ बैग का बयान, कहा- शहर की सारी मस्जिदों में चस्पा है हिसाब-किताब का ब्यौरा

कोरबा। जामा मस्जिद के सेक्रेटरी हाजी एखलाक खान ने प्रेस वार्ता कर मरकजी सीरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग (निशू) के विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों पर मिर्जा आसिफ बैग का कहना है कि उन्होंने पिछले कार्यकालों में कमेटी के द्वारा किए गए कार्यों का ब्यौरा समाज के लोगों के मध्य रखते हुए सारा हिसाब-किताब चस्पा कर दिया है। इसके बाद भी हाजी एखलाक खान के द्वारा ऐसे आरोप लगाना एक साजिश प्रतीत होता है। लोगों ने हाजी एखलाक खान के इस कृत्य पर रोष व्यक्त किया, जिससे हाजी एखलाक खान उस मीटिंग से डर कर भाग खड़े हुए। इस तरह हाजी एकलाख समाज के बीच में भ्रम पैदा कर समाज को बाटने का प्रयास कर रहे हैं, जो उचित नहीं।

इस मामले में हाजी एखलाक खान का कहना था कि 11 अगस्त को हुई मरकज़ी सीरत कमेटी की बैठक की जानकारी उन्हें नहीं दी गई। जबकि इस बैठक के आयोजन का ऐलान स्वयं जामा मस्जिद में हाजी एखलाक खान के द्वारा किया गया था। मिर्जा आसिफ बेग के द्वारा स्वयं शहर की सारी मस्जिदों में ऐलान कराया गया, ताकि समाज के बीच होने वाली महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी समाज के लोगों को मिल सके। हाजी एखलाक खान ने 11 अगस्त की बैठक में मिर्जा आसिफ बैग को विभिन्न आरोप लगाते हुए अध्यक्ष पद से हटाए जाने के प्रस्ताव रखा। जिसमें समाज के लोगों ने हाजी एखलाक खान के इस कृत्य पर रोष व्यक्त किया, जिससे हाजी एखलाक खान उस मीटिंग से डर कर भाग खड़े हुए और समाज के बीच भ्रम फैलाने की नीयत से मिर्जा आसिफ बेग पर अभद्र व्यवहार जैसा गंभीर आरोप लगाया। 11 अगस्त की बैठक का साक्षी केवल हाजी एखलाक खान नहीं, बल्कि कोरबा की पूरी आवाम है। बैग का यह भी कहना है कि हाजी एखलाक खान अपने डर को छुपाने के लिए कितना भी प्रयास कर ले आवाम उनकी मीठी-मीठी बातों पर नहीं आएगी।

मरकज़ी सिरत कमेटी को चंदा ना देने की बात अनुचित, आवान ने नकारा

 

उनका यह भी कहना है कि हाजी एखलाक खान ने मरकजी सिरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग पर निराधार आरोप लगाते हुए मरकज़ी सिरत कमेटी को चंदा ना देने की बात कही है। सिरत कमेटी समाज की कमेटी है जो समाज के लिए धार्मिक आयोजन आदि के कार्यों का निर्वाहन करती है। विभिन्न कार्यों व कार्यक्रमो में शहर को सजाया जाता है, रैलियों निकाली जाती है। समाज के कार्यों में जो खर्च आता है उस खर्च का वहन समाज के छोटे-छोटे चंदों से आता है जिसका हिसाब-किताब प्रति वर्ष सार्वजनिक बैठक करके समाज के लोगों को जानकारी दी जाती है। शहर की सारी मस्जिदों में चस्पा किया जाता है। यही सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। एखलाक खान के चंदा न दिये जाने की बात को आवाम ने नकार दिया है।