कोरबा। राजनीति के एक शब्द का जिक्र हर नेता और मतदाता की जुबां पर रहता है और वो है कत्ल की रात। वही कत्ल की रात आज है जिसमें वोटर को रातों रात पलटने की बात कही जाती है।
राजनीतिक विश्लेषक यूं ही आज की रात को कत्ल की रात नही कहते है, क्योंकि यही वह रात है जिसमें मतदाताओं का घर आंगन उजाला हो जाता है।
वजह कि अंतिम रात कहीं पैसा कमाल कर जाता है, तो कहीं गोलबंदी में शराब और मुर्गा भी अपना जादू दिखा देता है। कहीं साड़ी संग दान-दक्षिणा तो कहीं किसी की बेतुकी बात ही वरदान साबित हो जाती है। वोट हथियाने की जुगत में इस रात सभी प्रत्याशी सभी तरह के हथकंडे अपनाते हैं। मतदाता भी आज की रात गहरी नींद में नहीं सोते। उन्हें भी आज की रात का इंतजार रहता है। वजह कि सुबह होने से पूर्व मतदान पूर्व के वादे हर हाल में पूरे किए जाते हैं।