Korba : सस्पेंस बाकि …कोरबा लोकसभा की जनता आखिर किसे कहेंगे “जी मंत्री जी”

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कोरबा। एसेंबली क्लियर होते ही अब संसद जीतने की दौड़ अभी से शुरू होती दिख रही है। यही वजह है जो भाजपा सरकार ने अपने बेड़े में हर लोकसभा से एक मंत्री शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मिनिस्ट्री पाने की इस ताजा दौड़ हमारे कोरबा संसदीय क्षेत्र से दो विधायक मैदान में हैं। खास बात ये कि कोरबा और कटघोरा विधायक ने भी अपनी अपनी मोहक छवि से ही जनता का दिल जीता है। सीएम साय भी इन्हीं गुणों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन देखने वाली बात होगी कि साय की सादगी हमारे किस विधायक से मैच होती है। पूर्व में ससदीय सचिव की जवाबदारी निभा चुके लखन की गाड़ी में लाल बत्ती होगी या फिर रेलडबरी से कमल खिलाने वाले प्रेमचंद मिनिस्टर की पोस्ट के हकदार बनेंगे।

प्रत्येक लोकसभा से एक मंत्री के फंडे से कोरबा को कनेक्ट करें, तो एक कमाल की बात नजर आती है। सीएम विष्णुदेव साय से लेकर हमारे लखनलाल देवांगन और प्रेमचंद पटेल तक, इस दफा सादगी में हर किसी ने महारत हासिल कर रखी है। गौर करने योग्य रहा कि इसी सादगी पर मोहित हुए केंद्रीय नेतृत्व ने चौंकाने वाला फैसला पेश किया। सीएम को लेकर पहले शाह ने सरप्राईज दिया और अब चौंकाने की बारी साय की है। कोरबा लोकसभा में दो विधायक हैं, जिसमें किसी एक को ही मिनिस्टर कहलाने का सौभाग्य मिल सकेगा। वैसे तो ये वक्त ही बताएगा कि लाल बत्ती दूसरी बार कोहड़िया जाएगी या इस बार रेलडबरी वाले जी मंत्री जी कहते सुने जाएंगे। पर उसके पहले अपनी अपनी तेल गर्म कर रहे जिला भाजपा की हर तिरपाल में यही चर्चा सरगर्म हो चली है। खास बात यह है कि यहां किसी दांव-पेंच या उठा पटक वाले खिलाड़ी की दाल गलने जैसी कोई बात नहीं है। अगर कुछ जीतेगा, तो वह है आला कमान का फैसला। अब देखने वाली बात होगी कि अपने फैसला से इस बार सीएम विष्णुदेव साय किस तरह से चौंकाते हैं। कटघोरा से चुनाव जीतकर पहली दफा विधानसभा पहुंचे नए नवेले विधायक प्रेमचंद पटेल को बुलाते हैं या लंबी पारी खेलने में माहिर बन चुके लखनलाल देवांगन का भाग्य फिर से सात घोड़ों पर सवार होकर आगे निकल जाएगा।

 

इधर 15 साल के साम्राज्य पर लगाई सेंध, उधर 20 बरस से जुटा अंतिम छोर का कार्यकर्ता

 

विष्णु राज में कोरबा जिले किसे मंत्रीमंडल में जगह मिलेगी इसकी चर्चा तो छिड़ ही गई है। पर साथ में जिस अंदाज में भाजपा अंतिम कतार में खड़े कार्यकताओं को महत्व दे रही है, उससे पिछले 20 बरस से अंतिम छोर पर भाजपा का कमल थामे जुटे प्रेम को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर बात लखन की करें तो वे भी मंत्री के हकदार है क्योंकि उन्होंने अपने मधुर मुस्कान की बदौलत कद्दावर मंत्री को हराकर “माई नेम लखन” कहते हुए 15 साल के साम्राज्य को हिलाया है।