जंगली जानवरों का आतंक: भालू के हमले में ग्रामीण गंभीर रूप से घायल, इलाके में डर का माहौल

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कोरबा– जिले के वनांचल क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक एक बार फिर से बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीणों के लिए जंगल में जाना जोखिम भरा हो गया है। हाल ही में बांगो थाना क्षेत्र के एक ग्रामीण, चंद्रशेखर, भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया। इस घटना ने इलाके में डर का माहौल पैदा कर दिया है।

घटना उस समय घटी जब चंद्रशेखर लकड़ी लेने के लिए जंगल गया था। जंगल में उसे तीन भालुओं का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अचानक उस पर हमला कर दिया। चंद्रशेखर और भालुओं के बीच संघर्ष काफी देर तक चला, जिसमें चंद्रशेखर को गंभीर चोटें आईं। हमले के दौरान चंद्रशेखर ने अपनी जान बचाने के लिए एक चालाकी अपनाई—वह जमीन पर लेट गया और सांस रोक ली, ताकि भालू उसे मरा हुआ समझ लें। उसकी यह तरकीब काम आई और भालू उसे छोड़कर वापस लौट गए।

हमले के बाद खून से लथपथ चंद्रशेखर किसी तरह अपने घर पहुंचा और तुरंत डायल 112 पर मदद की गुहार लगाई। डायल 112 की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चंद्रशेखर को कटघोरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां उसका उपचार चल रहा है।

इस घटना ने कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्रों में जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक को एक बार फिर उजागर कर दिया है। ग्रामीणों में डर का माहौल है, और वे जंगल में जाने से घबरा रहे हैं। इलाके में हाथी और भालुओं का आतंक बढ़ने से वन विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं, कि वे इस समस्या का समाधान कब और कैसे करेंगे।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से वनांचल क्षेत्रों में जंगली जानवरों की गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वन विभाग को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

चंद्रशेखर की बहादुरी और सूझबूझ ने उसकी जान बचा ली, लेकिन यह घटना यह भी दर्शाती है कि वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना हुआ है। वन विभाग और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

इस घटना के बाद, वन विभाग को भी सतर्क हो जाना चाहिए और इन क्षेत्रों में गश्त बढ़ानी चाहिए, ताकि जंगली जानवरों के हमले से लोगों को बचाया जा सके। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए वन विभाग को तत्काल प्रभावी उपाय करने होंगे, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।