Amendments and : ये कैसी थानेदारी, सड़क में बवाल और टीआई की पहरेदारी,तेरा तुझको अपर्ण क्या लागे मेरा…सफेद सोने की रॉयल्टी ब्लैक का खेल.. ऑउट ऑफ कंट्रोल,आम आप और इंसुलिन…

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ये कैसी थानेदारी, सड़क में बवाल और टीआई की पहरेदारी..

 

देश की शान कहे जाने वाले एल्युमिनियम नगरी की थानेदारी पर बवाल मचा हुआ है। वैसे तो साहब कड़क पहरेदारी का स्वांग रचते रहते हैं लेकिन, जब पब्लिक ने शव को सड़क पर रखकर आंदोलन किया और  भीड़ बेकाबू हुई तो साहब की चतुराई धरी की धरी रह गई। उनकी पब्लिक के बीच बनी इमेज से पुलिस महकमे चर्चा होने लगी.. भाई ये कैसी थानेदारी, टीआई तो कहते हैं कड़क हैं पहरेदारी तो एक्सीडेंट और जाम लग क्यों रहा है? कहा तो यह भी जा रहा है ट्रांसपोर्टरों की मनमानी और पुलिस की मेहरबानी की वजह से सड़कों में ओवरलोड गाड़ियां फर्राटे भर रही है।

यही कारण है की सड़क दुर्घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। बालको में हुई दुर्घटना ने जब राजनीतिक बयानों का तीखा रुप धारण किया तो बड़े साहब खुद सड़क पर उतरे और मोर्चा संभाला। साहब की समझाइश के बाद सड़क में मचा बवाल तो थम गया लेकिन टीआई की पहरेदारी प्रश्न खड़ा हो गया है।

हाल फिलहाल का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें शव को सड़क पर रखकर 24 घंटे तक पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगाते रहे। बावजूद इसके थानेदार आंदोलनकारियों को विश्वास नहीं दिला सकी। हालांकि आंदोलन के कुछ दिनों बाद न्याय के लिए सड़क पर उतरे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। पब्लिक के खिलाफ हुए अपराध दर्ज को लेकर भी शहर में खाकी की छवि अलग अलग तरीके से उकेरी जा रही है।

 

 

तेरा तुझको अपर्ण क्या लागे मेरा…

 

सरकार ने नए वित्तीय वर्ष से शराब के नए रेट लिस्ट जारी कर सुरा प्रेमियों के जेबे ढीली कर दी। हालांकि पुरुषों से वसूले रकम को महिलाओं में बांटा जा रहा है। सरकार की नीति को देख समझदार पियक्कड़ कहने लगे हैं। साहब! ये तो तेरा तुझको अपर्ण क्या लागे मेरा की तर्ज पर सरकार पुरुषों से वसूली कर महिला के खाते में डाल रही है, इसी को तो राजनीति कहते हैं।

वैसे देशी विदेशी शराब में पौवा में 10 रुपए से 200 रुपए तक ज्यादा खरचना पड़ है। जो देशी शराब प्लेन का पव्वा 80 रुपये में मिलता थी अब उसके लिए 10 रुपये की एक्सट्रा देना पड़ रहा है।नए रेट के मुताबिक अब 90 रुपये पव्वा और बोतल 360 रुपए हो गया है। मसाला की कीमत 110 से बढ़कर 120 बोतल 440 और वहीं गोवा पव्वा की कीमत 100 से बढ़कर 110 रुपये हो गई है।

बाकी अंग्रेजी पव्वे की बात करें तो ब्रांड देख-देखकर कीमतों में वृद्धि की गई है। नंबर वन और वोडका पव्वा अब 200 की बजाए 210 और बोतल 840 रुपये में मिलेगा। ओल्ड मंक, मैजिक मूवमेंट पव्वा 230 और बोतल के लिए 920 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। अगर बात बियर की जाए तो ब्रांड के हिसाब से कीमतों को बढ़ाया गया है। एक सुर में बढ़ी कीमतों पर शराब खरीदने वाले पिक्कयड सरकार को जमकर कोस रहे हैं  “तेरा तुझको अपर्ण क्या लागे मेरा…!”

 

सफेद सोने की रॉयल्टी ब्लैक का खेल.. ऑउट ऑफ कंट्रोल…

 

80 के दशक में हिंदी फिल्मों की खुमारी सर चढ़कर बोलती थी। सो हिट फ़िल्म लगते ही टिकट ब्लैक का खेल चलता था और तत्कालीन समय में कई नेता टिकट ब्लैक कर नेतागिरी सीखे..। वो समय तो बीत चुका लेकिन अब रेत घाट से रॉयल्टी ब्लैक करने का खेल जमकर खेला जा रहा है। रेत घाट में भी रॉयल्टी ब्लैक करने वाले कोई औऱ नही बल्कि नेता ही है।

सरकार के मंशानुरूप घाट का संचालन तो कागज में पंचायत प्रतिनिधि कर रहे हैं। लेकिन, असल में लठैतनुमा नेता रेत घाट से तेल निकाल रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि नगर निगम के स्वामित्व वाले घाट का हाल और बेहाल है। भिलाई खुर्द से मात्र 100 रॉयल्टी पर्ची ही काटी जा रही है। रॉयल्टी पर्ची न मिलने से प्राइवेट घाट संचालकों के गुर्गों की बल्ले बल्ले है। घाट संचालकों की मनमानी और रॉयल्टी ब्लैक की चर्चा से टाकीज के बाहर टिकट ब्लैक करने वालों की याद ताजा हो रही है।

 

आम आप और इंसुलिन

देश की राजनीति इस वक्त महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से जैसे मुद्दे से हटकर आम…इंसुलिन और आप पर जा टिकी है। आज थोड़ी देर में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में इस बात पर बहस होगी कि डायबिटीज के मरीज की जान बचाने के लिए उसे इंसुलिन का डोज देना कितना जरूरी है। बात अगर आम आदमी की हो तो ये हाइपर डायबिटीज वाले मरीज को डाक्टर बिना देर किए इंसुलिन लगा देते हैं मगर अब बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की है जिन पर तिहाड़ जेल में डायबिटीज मरीज के लिए फालो किए जाने वाले डाइट चार्ट का पालन नहीं करने और घर से आने वाले टिफिन बाक्स में मौसमी आम और शक्कर वाली मिठाई खाने के आरोप लगे हैं।

चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी के नेता वीआईपी हो गए हैं। मामला में कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा रहा है। दिल्ली शराब नीति घोटाला का मामला पीछे छूट गया है। पूरा केस डायबिटीज और इंसुलिन पर आ गया है। हालांकि इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोर्ट को बता दिया है कि अरविंद केजरीवाल डायबिटीज मरीज हैं। और उनके द्वारा जरूरी डाइट चार्ट का पालन नहीं किया जा रहा है। वो घर से आए टिफिन बाक्स मौसमी आम और शक्कर वाली मिठाई खा रहे हैं। उन्हें घर के टिफिन बाक्स में आए भोजन देने का निर्देश भी कोर्ट से मिला है।

ऐसे में अगर उनका शुगर लेबल बढ़ता या घटता है तो इसके लिए चिकित्सीय विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। जेल में एक्सपर्ट डॉक्टर्स मौजूद हैं जो उनके हेल्थ की निगरानी कर सकते हैं। मगर अपने नेता को गिरफ्तार से बचाने के लिए आम आदमी पार्टी पूरी तरह से इसे तूल देने में लगी है। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने सीधे सीधे आरोप लगा दिया कि जेल में केजरीवाल को मारने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली सरकार की एक मंत्री तिहाड़ जेल के सामने इंसुलिन लेकर पहुंच गई। जबकि जेल अधिकारी का कहना है कि इंसुलिन का मुद्दा केजरीवाल ने नहीं उठाया था और न ही डॉक्टरों ने इसका सुझाव दिया था।

 

यानि मामला अब आम का ना होकर वीआईपी हो गया है और इंसुलिन नेशनल इशू…। थोड़ी देर और इंतजार करें…क्योंकि कोर्ट का फैसला आने ही वाला है।

 

संशोधन और बदलने का फर्क समझिए

इस बात आम चुनाव में संविधान को लेकर काफी चर्चा है। इंडी गठबंधन के एलाइंस कांग्रेस पूर देश में ये कहती फिर रही है कि अगर बीजपी 400 प्लस सीट ले आई तो मोदी देश का संविधान बदल देंगे। एक दिन पहले छत्तीसगढ़ में बालोद में चुनाव प्रचार के लिए आई कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी तो कुछ ऐसा ही बोल गई।

जनता को ये यकीन दिलाने की कोशिश हुई कि, संविधान बदलकर ये सभी आपके हक को कमजोर करने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस नेता ने जनता को बताया कि दलितों को आगे बढ़ाने, रिजर्वेशन रखने जैसी सुविधा मिली है। लेकिन अगर यह सब खत्म हो जाएगा तो आपके पास ये लोग कुछ नहीं छोड़ेंगे। यानि संविधान बदल दिया जाएगा।

दरअसल चुनाव में बीजेपी से लगातार मात खाती जा रही कांग्रेस संविधान संशोधन और पूरा का पूरा बदलने का फर्क ही भूला बैठी है। कांग्रेस से भूल गई कि सबसे अधिक संविधान संशोधन कांग्रेस सरकार ने ही किए हैं। तो पूर्ण बहुमत से चुनी गई किसी दूसरी सरकार पर संविधान बदले का आरोप लगाने का अधिकार उसे कैसे हो सकता है।

हालांकि बीजेपी इस जवाब में इमरजेंसी, शहबानो प्रकरण, धारा 370 और आर्टिकल में सर्कुलिज्म जैसे शब्द जोड़े जाने की बात कहकर आइना दिखाने की कोशिश कर रही है। मगर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक पार्टी की चुनी हुई सरकार द्वारा देश के संविधान को बदल देने की बात लोकतंत्र की खिल्ली उड़ाने जैसा ही है।

 

चुनाव में पक्ष और विपक्ष को घेरने के लिए मुद्दों की कमी नहीं होती…महंगाई बेरोजगारी आम समस्या है, इसे मुद्दों क्यों नहीं बनाते..? चुनावी लाभ के लिए संविधान की बात उठाने से तो बचना ही होगा और कांग्रेस को जनता का विश्वास जीतने के इन दोनों में फर्क समझने की शुरुआत करनी होगी…तभी पार्टी का भला हो सकेगा।

✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा