✍️ नरेन्द्र मेहता, कोरबा
कोरबा। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को कांग्रेस की चौथी बार टिकट मिलने का लोगो को बेसब्री से इंतजार था. कांग्रेस की 30 नामों वाली पहली सूची में अग्रवाल का नाम आने के बाद तो लोगों ने अपने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानो और घरों पर कांग्रेस के झंडे लगाने शुरू कर दिए हैं. झोपड़ पट्टी इलाकों में कांग्रेस के झंडों की डिमांड बढ़ गई हैं. शायद इसे जमीन के पट्टा वितरण का असर कहा जा सकता हैं. भाजपा ने लखनलाल देवांगन को एक माह पहले प्रत्याशी धोषित कर दिया हैं. इसके बाद भी झंडो का जलवा नहीं देखने को मिला.लखन के कट आऊट जरूर देखें गए.भाजपा ने भी अब झंडे लगाने की कवायद शुरू की हैं. झंडों की दौड़ में जयसिंह की टीम आगे निकल गई हैं.लखन की टीम को पीछे पीछे चलना अब मजबूरी हैं.
दरअसल चुनाव के वक़्त पूरा खेल कार्यकर्ताओं की फ़ौज और पार्टी के मैनेजमेंट पर निर्भर रहता हैं. लगनशील कार्यकर्ता ही पार्टी प्रत्याशी के हौसला अफजाई के लिए उतना ही जरूरी हैं जितना पार्टी का मैनेजमेंट. कार्यकर्ताओं के बगैर मैनेजमेंट का फंडा कोई काम ही नहीं आता.कांग्रेस की सक्रियता से यह पता चलता हैं कि इनका मैनेजमेंट तगडा हैं. काफी समय हो जाने के बाद भी भाजपा में वो सक्रियता देखने को नहीं मिल रही हैं, इसकी वजह क्या हैं यह भाजपा कार्यकर्ताओं को भी समझ नहीं आ रहा हैं.
बता दे कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विकास महतो ने शहरवासियों को यह एहसास नहीं होने दिया था कि भाजपा प्रचार प्रसार में कांग्रेस से पीछे हैं.और उन्होंने पूरे दमखम से कार्यकर्ताओं की फ़ौज को साथ मे लेकर चुनाव लड़ा.हालांकि विकास महतो मजह 11,806 वोट से चुनाव हार गये. लेकिन मुकाबले की शुरुआत से ही वे अत्यधिक सक्रिय रहे और प्रचार प्रसार में कांग्रेस के बराबर चले.उस वक्त 21 प्रत्याशी मैदान में थे.किन्तु मुकाबला त्रिकोणी था. कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई. जयसिंह को 70,119 वोट मिले.विकास महतो को 58,313,तीसरे नम्बर पर रहे रामसिंह अग्रवाल(चाचा)को20,938 वोट से संतुष्ट होना पड़ा. निर्दलीय विकास केलकर को 4,859 वोट पड़े थे.
किन्तु इस बार 2018 जैसा माहौल भाजपा बना पाएगी इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. वक्त अब भी हैं कि कार्यकर्ताओं की टीम कांग्रेस की तरह फील्ड में उतारने का.चुनाव के वक्त पार्टी के झंडो का अपना अलग आकर्षण होता हैं.