Breaking: पनीर पर कोर्ट के आदेश से आंखों में नीर.. कोर्ट समाप्ति तक कैद.. या 04 माह की सजा

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0 जांजगीर के कलेक्टर चौक स्थित होटल ड्रीम प्वाइंट का मामला

जांजगीर। खाद्य विभाग के नियमों और सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर पनीर संग्रहित करने वाले एक होटल के संचालक और मैनेजर को कोर्ट ने दोषी ठहराया है। होटल के निरीक्षण के दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने होटल की रसोई में फ्रीज में रखी पनीर का सैंपल लिया था। जब उसे जांच के लिए रायपुर लैब भेजा गया, रिपोर्ट में वह अमानक पाया गया। मामला कोर्ट में पेश हुआ, जिस पर करीब आठ साल बाद फैसला सुनाते हुए होटल संचालक और मैनेजर समेत तीन को दोषी करार देते हुए कुल तीन धाराओं में 30000-30000 के अर्थदंड से दंडित किया गया है। साथ ही अदालत उठने तक की सजा दी।

इस मामले के बैग्राउंड पर गौर करें तो केस कुछ इस तरह से है।खाद्य सुरक्षा अधिकारी व उप संचालक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन जिला जांजगीर-चांपा दीपक कुमार देवांगन ने अपनी टीम के साथ 3 अक्तूबर 2016 को दोपहर करीब 1 बजे चांपा रोड जांजगीर के कलेक्टर चौक स्थित होटल ड्रीम प्वाइंट का निरीक्षण किया था। मौके पर आरोपी गणेश शर्मा ने स्वयं को होटल का मैनेजर बताया।
वैद्य खाद्य अनुज्ञप्ति की मांग किए जाने पर अनुज्ञप्ति प्रस्तुत नहीं की गई। होटल के परिसर एवं रसोई का निरीक्षण मैनेजर की सहमति से किया गया। रसोई में रखे फ्रीज के अंदर स्टील के पात्र में करीब 1 किलोगराम पनीर रखा हुआ था। पनीर का नमूना लिया गया। इसके लिए प्रति किलो 235 रूपये की दर से खरीदी कर मैनेजर से रसीद प्राप्त की गई। पनीर के इस नमूने को चार बराबर भागों में बांटकर प्रत्येक भाग में 18 से 20 बूंद फार्मेलिन डालकर रखा गया। प्रत्येक भाग को अलग- अलग डब्बों में पैक करने के साथ समस्त कार्यवाही का पंचनामा तैयार किया गया था। तैयार किए गए सैम्पल में से एक भाग को राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया था। राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर से परीक्षण रिपोर्ट 15 दिन बाद यानी 18 अक्तूबर 2016 को प्राप्त हुई जिसमें पनीर ‘अमानक’ स्तर का होना पाया गया। संबंधित होटल के मैनेजर को अनुज्ञप्ति प्रस्तुत करने हेतु पत्र भेजा गया, जिसमें उनके द्वारा जवाब भी भेजा गया। खाद्य पदार्थ अमानक पनीर का विक्रय किया, जो खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों की अपेक्षा को पूरी नहीं करता। इतना ही नहीं खाद्य कारोबार की अनुज्ञप्ति के बिना होटल संचालन किया जाना भी पाया गया। इस मामले में होटल के मैनेजर गणेश शर्मा पिता महावीर प्रसाद शर्मा उम्र 28 वर्ष, पता – रमन नगर वार्ड नं. 8 जांजगीर, होटल संचालक संतोष राठौर पिता दीनानाथ राठौर पता- बाजार पारा जांजगीर को आरोपी बनाते हुए श्री देवांगन ने मामला न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिला जांजगीर चांपा के समक्ष पेश किया था। लंबे समय तक चले केस में न्यायालय ने 31 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाया। इसमें कहा गया है कि प्रकरण में प्रस्तुत ड्रीम प्वाइंट होटल के पूर्व खाद्य अनुज्ञप्ति के आधार पर यह दर्शित हो रहा है कि आरोपीगण के प्रतिष्ठान में खाद्य अनुज्ञप्ति 4 अगस्त 2016 तक के लिए ही प्रदान की गई थी। आरोपीगण के द्वारा लाइसेंस के नवीनीकरण हेतु 2 जून 2016 को 4000 रूपये बैंक चालान के माध्यम से जमा किए जाने की रसीद भी अभिलेख में संलग्न है, परंतु लाइसेंस नवीनीकरण हेतु पृथक से कोई आवेदन दिनांक 2 जून 2016 को प्रस्तुत किया गया था उक्त आवेदन की प्रति बचाव पक्ष के द्वारा प्रस्तुत नहीं की गयी है। इस प्रकार यह दर्शित हो रहा है कि आरोपीगण के द्वारा मात्र लाइसेंस नवीनीकरण हेतु बैंक में चालान के माध्यम से 4000 रूपये दिनांक 2 जून 2016 को जमा कर दिए गए थे, परंतु लाइसेंस नवीनीकरण हेतु कोई विधिवत आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया था। साक्ष्य विवेचना से यह बात स्पष्ट है कि अभियोजन संदेह से परे यह प्रमाणित करने में भी सफल प्रतीत हो रहा है कि 3 अक्तूबर 2016 को आरोपीगण अपने प्रतिष्ठान ड्रीम प्वाइंट होटल में बिना खाद्य कारोबार अनुज्ञप्ति के होटल का संचालन कर रहे थे। इस प्रकार बिना लाइसेंस के खाद्य पदार्थ का भण्डारण अथवा विक्रय करना अधिनियम की धारा 31 का उल्लंघन है जिसे अधिनियम की धारा 63 में दण्डनीय अपराध बनाया गया है। अंततः आरोपीगण गणेश शर्मा एवं संतोष राठौर को अधिनियम की धारा 27 (i) का उल्लंघन दण्डनीय अपराध अंतर्गत धारा 58 के आरोप में दोषमुक्त किया जाता है तथा अधिनियम की धारा 26 (1) का उल्लंघन दण्डनीय अपराध अंतर्गत धारा 50, धारा 26.2 (ii) का उल्लंघन दण्डनीय अपराध अंतर्गत धारा 51 एवं धारा 31 (i) का उल्लंघन दण्डनीय अपराध अंतर्गत धारा 63 के आरोप में दोषसिद्ध किया गया है। सर्व विजय अग्रवाल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिला: जांजगीर-चांपा ने आरोपीगण गणेश शर्मा एवं संतोष राठौर को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 26 (1) का उल्लंघन किये जाने पर धारा 50 के तहत क्रमशः 10,000- 10,000 ( दस-दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से, धारा 26 ( 2 ) (ii) का उल्लंघन किये जाने पर धारा 51 के तहत क्रमशः 10,000-10,000 ( दस दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से तथा धारा 31 ( 1 ) का उल्लंघन किये जाने पर धारा 63 के तहत प्रत्येक आरोपी को न्यायालय उठने तक की सजा एवं 10,000-10,000 ( दस-दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड की राशि निक्षिप्त करने में व्यतिक्रम की दशा में प्रत्येक आरोपी को प्रत्येक अपराध के लिए 04-04 माह का अतिरिक्त साधारण कारवास भुगताया जावे। इस प्रकार प्रत्येक आरोपी को कुल 30,000-30,000 ( तीस-तीस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।