0 स्वयंसेवी संस्था कारवां ने लिखा- वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रवधानों के स्पष्ट उल्लंघन कर रही कम्पनी
कोरबा। नैसर्गिक नदी-नाले पर छोटे-बड़े झाड़ साफ कर बालको द्वारा विद्युत टावर लगाने और तार बिछाने की शिकायत वन विभाग से की गई थी। इस पर वन विभाग की ओर से बालको के सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। इसके बाद न तो बालको प्रबंधन की ओर से कोई जवाब दिया गया और न ही वन विभाग की ओर से ही प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। अब इस मामले में कोरबा तहसीलदार से शिकायत कर कब्जा हटाने की कार्रवाई करने की मांग की गई है।
शिकायत पत्र
स्वयंसेवी संस्था कारवां के अध्यक्ष पीएस श्रीवास ने यह शिकायत मेसर्स अनिल अग्रवाल, भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड और बालको के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के खिलाफ की है। शिकायत में बताया गया है कि नैसर्गिक (प्राकृतिक) बेलगरी नाले पर बालको द्वारा हाईटेंशन तार लगाकर मूल स्वरूप को अवरूद्ध करने और जबरन कब्जा किया गया है। इस अवैध कब्जे के विरुद्ध भू-राजस्व संहिता की धारा 132, 133 व 248 की प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए कब्जा हटाने की मांग तहसीलदार से की गई है। इस संबंध में शिकायत के माध्यम से कारवां के अध्यक्ष ने जानकारी दी है कि बालको क्षेत्र के वनों को दृष्टिगत रखते हुए नैसर्गिक बेलगरीनाला, जो फायर कॉलोनी और परसाभाठा पोल के नीचे है। वहां बालको द्वारा हाईटेंशन टावर लगाकर प्राकृतिक नदी को छेड़छाड़ किया गया है। इसके पहले इसी वर्ष 18 जुलाई को वन परिक्षेत्राधिकारी बालको के समक्ष शिकायत की गई थी। वन क्षेत्राधिकारी बालको के द्वारा अपने वन अमले के साथ मौके पर पहुंचकर सारी जानकारी एकत्र की। इसके बाद उन्होंने बालको प्रबंधन द्वारा किए जा रहे कार्यों को तत्काल रोक लगाते हुए जवाब प्रस्तुत करने नोटिस जारी किया था। वन परिक्षेत्राधिकारी बालको के द्वारा वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन मानते हुए बालको को कार्य रोकने एवं शीघ्र अनुमति पत्र प्रस्तुत करने के लिए कार्यालयीन पत्र 20 जुलाई को चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड को नोटिस जारी किया गया। बालको के द्वारा किसी भी प्रकार की अनुमति एवं जमीन से संबंधित कोई भी अभिलेख वन परिक्षेत्राधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं की गई। प्रबंधन प्राकृतिक नाले में किए गए अवैध कब्जे के संबंध में कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर सका।
इसके बाद पुनः 8 सितंबर को कारवां की ओर से वन परिक्षेत्राधिकारी बालको से की गई कार्यवाही के संबंध में अभिलेख की मांग की गई। वन परिक्षेत्राधिकारी ने जवाब भेजा कि भारत एल्युमिनियम कम्पनी के द्वारा कोई भी रिकार्ड अनुमति से संबंधित नही प्रस्तुत किया गया है एवं स्थल निरीक्षण में वह भूमि शासकीय बताया जा रहा है। बालको के द्वारा नैसर्गिक बेलगरीनाले में किए गए कब्जे के चलते प्राकृतिक स्वरूप बदल गया है। इससे क्षेत्र की जैवविविधता पर कुप्रभाव पड़ रहा है। नदी नाले की प्राकृतिक धारा समाप्त हो जाएगी। यही चिंता जताते हुए यह शिकायत कारवां स्वयं सेवी संस्था की ओर से की गई थी। इस तरह से बालको के द्वारा नैसर्गिक (प्राकृतिक) नाले पर किए गए अवैध कब्जे को तहसीलदार से भू राजस्व संहिता की धारा 132, 133 व 248 की प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए हटाने की मांग की गई है। ताकि नदी नाले को इन उद्योगपतियों से बचाया जा सके। इस शिकायत की जांच अविलंब किए जाने की माग राजस्व विभाग से की गई है। साथ ही तहसील कार्यालय से की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में विधिवत पत्राचार से अवगत कराया जाने भी कहा गया है।
वन विभाग ने माना सरकारी जमीन पर किया कब्जा, नोटिस पर बालको ने नहीं दिया जवाब
भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा नैसर्गिक नदी नाले को नुकसान पहुंचाते हुए मनमानी की जा रही है। कंपनी ने बालको परिक्षेत्र में राजस्व वन भूमि के छोटे बड़े झाड़ की सफ़ाई कर उसमें विद्युत टावर खड़ा कर दिया गया है। पूर्व में इस मामले की शिकायत के बाद वन विभाग ने मौके का निरीक्षण कर काम रुकवाया था। इस मामले में बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं पूर्णकालिक निदेशक को नोटिस जारी कर इस कार्य के लिए अनुमति प्रमाण पत्र समेत जवाब प्रस्तुत करने कहा था। इस स्थल पर राजस्व भूमि के छोटे बड़े झाड़ को नष्ट कर निर्माण कार्य किया जा रहा है, जो वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रवधानों के स्पष्ट उल्लंघन के लिए सीईओ को जवाबदार माना जाएगा। बालको सीईओ को इस निर्माण कार्य के लिए अविलम्ब अनुमति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए थे। इस कार्यवाही से अवगत कराते हुए बालको परिक्षेत्राधिकारी ने स्वयंसेवी संस्था कारवां के अध्यक्ष पीएस श्रीवास को जांच प्रतिवेदन के साथ लिखे गए पत्र में बताया था कि उक्त जमीन पर बालको द्वारा हाई टेंशन टावर खड़ा किया जा रहा है। स्थल का निरीक्षण किया गया है और यह स्थल राजस्व शासकीय भूमि है। टावर लगाने के कार्य पर तत्काल रोक लगाने और अनुमति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए भारत एल्यूमिनियम कम्पनी को पत्र जारी किया गया था, पर 20 सितंबर तक की स्थिति में बालको कंपनी की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।