बिलासपुर।कब सुधार ला पाएंगे, सुबह-शाम खुलने वाले मिल्क काउंटर ? सवाल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यह अस्वच्छ माहौल में संचालित हो रहे हैं। पक्की संरचना वाले संस्थानों में लापरवाही अलग किस्म की है। सुधार की संभावना है लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस पर मौन साध रखा है।
मांग के दिन हैंं। भीड़ सामान्य दिनों की तुलना में कुछ ज्यादा ही है लेकिन मिल्क काउंटर जिस तरह के माहौल में काम कर रहें हैं उसे लेकर उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग नाराज नजर आ रहा है। ऐसा नहीं है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन की नजर नहीं है। है पूरी नजर लेकिन जाने क्यों उसने कार्रवाई से दूरी बनाई हुई है। लिहाजा लापरवाही जमकर बरती जा रही है
हो यह रहा
पसंद की जगह। सड़क का किनारा। नालियों से चंद कदम की दूरी पर सुबह-शाम खुलने वाले मिल्क काउंटर में स्वच्छता का अभाव किसी भी समय देखा जा सकता है। बर्तनों की साफ-सफाई से जैसी दूरी बनाई जाती है, उस पर गौर करने की जरूरत है। काउंटर पर काम कर रहे कर्मचारी के पास सुरक्षा के उपाय होने चाहिए। जिसका पर्याप्त अभाव।
होना यह चाहिए
ओपन एरिया में यदि मिल्क काउंटर लगाया जा रहा है, वहां पर मिल्क की सुरक्षा के लिए महीन जालीदार कपड़ा जरूरी। काउंटर में रखे हुए बर्तन का स्वच्छ होना अनिवार्य। कार्यस्थल की पर्याप्त सफाई जरूरी। कार्यरत कर्मचारी के हाथों में ग्लब्स, मुंह पर मास्क, हेड कैप और पैरों में गम बूट का होना हर हाल में जरूरी। नालियों के किनारे काउंटर स्वीकार्य नहीं।

यहां यह जरूरी
पक्की संरचना वाले मिल्क काउंटर में खाद्य सुरक्षा के हर मानक का पालन अनिवार्य है। मूल्य सूची ना केवल जरूरी ही है बल्कि कीमत में बदलाव की जानकारी नियमित रूप से देनी होगी। कारोबार के हिसाब से लाइसेंस, पंजीयन और रजिस्ट्रेशन दोनों किस्म के काउंटरों के लिए अनिवार्य है।