The Duniyadari:सुकमा- आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित कोयाबेकूर बालक आश्रम में एक सात वर्षीय छात्र की बीमारी के चलते मौत हो गई। माड़वी दुला नामक यह छात्र, जो पहली कक्षा में पढ़ता था, ने बुधवार-गुरुवार की रात मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। सिर दर्द की शिकायत पर 1 दिसंबर को उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से हालत गंभीर होने पर जगदलपुर रेफर किया गया।
घटना का क्रम
आश्रम अधीक्षक बंशराज के अनुसार, बच्चा 29 नवंबर को सिर दर्द की शिकायत के बाद केरलापाल स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था। जांच में किसी गंभीर बीमारी का पता नहीं चला, और उसे आश्रम वापस भेज दिया गया। हालांकि, दो दिन बाद, 1 दिसंबर की रात उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी, जिसके बाद उसे पहले सुकमा अस्पताल और फिर मेडिकल कॉलेज डिमरापाल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
आश्रम में अन्य बच्चे भी बीमार
इस घटना के बाद कोयाबेकूर आश्रम के तीन अन्य छात्रों—माड़वी नागेश, माड़वी अरुण, और एमला नंदा—की भी तबीयत खराब हो गई। इन बच्चों का इलाज सुकमा जिला अस्पताल में जारी है। घटना के बाद डर के चलते आश्रम के 13 बच्चों को उनके परिजन घर ले गए हैं।
अव्यवस्थाओं का आरोप
एआईएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष महेश कुंजाम ने आश्रम प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मृतक छात्र कई दिनों से बीमार था, लेकिन समय पर इलाज नहीं किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि आश्रम में अव्यवस्था का आलम है। 50-सीटर आश्रम में 47 बच्चे रह रहे हैं, लेकिन केवल 24 पलंग उपलब्ध हैं।
स्वास्थ्य परीक्षण पर उठे सवाल
सहायक आयुक्त शरतचंद्र शुक्ला ने कहा कि चिरायु योजना के तहत हाल ही में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था, जिसमें मृतक छात्र माड़वी दुला की रिपोर्ट सामान्य आई थी। हालांकि, अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत के बाद यह सवाल उठ रहा है कि समय पर और पर्याप्त इलाज क्यों नहीं हो सका।
परिजनों में आक्रोश और दहशत
मृतक छात्र के गांव केरलापेंदा से कोयाबेकूर आश्रम में पढ़ रहे 17 बच्चों के परिजन अब चिंतित हैं। मौत के बाद परिजनों में दहशत का माहौल है। संबंधित विभाग से घटना की विस्तृत जांच और आश्रम में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की जा रही है।