Durg Police ने ऑपरेशन मुस्कान में रचा कीर्तिमान, 181 गुमशुदा बच्चों को सकुशल लौटाया घर

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The Duniyadari: दुर्ग- गुमशुदा बच्चों की तलाश और उन्हें उनके परिवार तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए पूरे प्रदेश में जुलाई 2025 में चलाए गए ‘ऑपरेशन मुस्कान’ अभियान में दुर्ग पुलिस ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। इस अभियान के तहत दुर्ग जिले की पुलिस ने कुल 181 बच्चों को खोजकर उनके परिजनों से मिलवाया, जिससे जिले का नाम प्रदेश में पहले स्थान पर दर्ज हुआ।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने इस सराहनीय उपलब्धि के लिए अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले थाना प्रभारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि गुमशुदा बच्चों को ढूंढना केवल एक कानूनी कर्तव्य नहीं, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा कार्य है, जो समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है।

अभियान की शुरुआत और उद्देश्य

ऑपरेशन मुस्कान का मुख्य उद्देश्य गुमशुदा बच्चों को खोज निकालना, उन्हें सुरक्षित रखना और उनके परिवार को लौटाना है। जुलाई 2025 में दुर्ग पुलिस ने इस अभियान के लिए एक विशेष रणनीति बनाई। हर मामले की बारीकी से समीक्षा की गई और हर बच्चे के घर जाकर परिजनों, रिश्तेदारों और मित्रों से बातचीत कर सुराग जुटाए गए। इसके बाद पुलिस ने संभावित स्थानों की सूची तैयार की, जहां बच्चों के मिलने की संभावना थी। इन स्थानों पर पुलिस की विशेष टीमों को भेजा गया। टीमें न केवल छत्तीसगढ़ के भीतर, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर बच्चों की तलाश करती रहीं।

अभियान के दौरान दुर्ग पुलिस ने 31 बालक और 150 बालिकाओं को सकुशल बरामद किया। इनमें से 28 बच्चे प्रदेश से बाहर विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से लाए गए। हर बच्चे को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के लिए पुलिस ने सभी आवश्यक कानूनी और सामाजिक प्रक्रियाएं पूरी कीं। दुर्ग पुलिस की यह सफलता न केवल संख्या के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसने कई परिवारों को उनकी खोई हुई खुशियां लौटा दीं। कई मामलों में बच्चे महीनों या सालों से लापता थे, और उनके मिलने की उम्मीद परिजनों में लगभग खत्म हो चुकी थी।

जमीनी स्तर पर मेहनत का नतीजा

अभियान में सफलता का श्रेय पुलिस की लगातार मेहनत और रणनीतिक योजना को जाता है। गुमशुदा बच्चों के मामलों में अक्सर शुरुआती सुराग बेहद कमजोर होते हैं, लेकिन दुर्ग पुलिस ने स्थानीय सूचना नेटवर्क, तकनीकी निगरानी और मानवीय संवेदनशीलता के संयोजन से इन चुनौतियों को पार किया। पुलिस टीम ने रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, फैक्ट्रियों, निर्माण स्थलों, होटलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सर्च अभियान चलाए। इसके अलावा, बच्चों के सोशल मीडिया और मोबाइल कॉल डिटेल्स की जांच भी की गई।

सम्मानित हुए पुलिस अधिकारी अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले थाना प्रभारियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इनमें- थाना प्रभारी सुपेला – विजय यादव थाना प्रभारी जामुल – राजेश मिश्रा थाना प्रभारी खुर्सीपार – आनंद शुक्ला थाना प्रभारी पुरानी भिलाई – अंबर भारद्वाज थाना प्रभारी मिलाई भट्ठी – राजेश साहू थाना प्रभारी अम्लेश्वर – राम नारायण ध्रुव थाना प्रभारी नंदनी नगर – पारस सिंह ठाकुर थाना प्रभारी – अमित अंदानी इन अधिकारियों को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और भविष्य में भी इसी तरह लगन और समर्पण के साथ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। ऑपरेशन मुस्कान का सामाजिक असर दुर्ग पुलिस का यह प्रयास केवल आंकड़ों की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए जीवन भर याद रहने वाली खुशी है, जिन्होंने अपने लापता बच्चों को वापस पाया। अभियान ने यह भी साबित किया कि यदि पुलिस और समाज मिलकर काम करें, तो गुमशुदा बच्चों की बरामदगी संभव है। कई मामलों में बरामद बच्चों के बयान से यह सामने आया कि वे विभिन्न कारणों से घर से दूर हो गए थे—कुछ घर से नाराज होकर निकले थे, कुछ को बहला-फुसलाकर ले जाया गया, जबकि कुछ मजदूरी करने अन्य शहरों में चले गए थे। इन सभी को बरामद कर परिवार से मिलवाना पुलिस की संवेदनशीलता और पेशेवर कुशलता का परिचायक है। आगे की योजना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ‘ऑपरेशन मुस्कान’ को निरंतर चलाया जाएगा और गुमशुदा बच्चों की खोज को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, पुलिस आम नागरिकों से अपील करती है कि वे अपने आस-पास किसी भी नाबालिग को संदिग्ध परिस्थितियों में देखें तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। इसके साथ ही, बच्चों के गुम होने की घटनाओं को रोकने के लिए अभिभावकों को जागरूक करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। स्कूलों, पंचायतों और शहरी इलाकों में जनजागरूकता अभियान चलाकर बच्चों और माता-पिता को सुरक्षा के प्रति सचेत किया जाएगा।