बिलासपुर– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का मौजूदा फैसला प्रदेश के विभिन्न विभागों में काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। अगर किसी अधिकारी व कर्मचारी का रिटायरमेंट में एक साल की अवधि शेष है, तो उनका अन्यत्र तबादला नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने कोरबा नगर निगम के ईई अरुण शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। दरअसल इंजीनियर अरुण शर्मा के रिटायरमेंट में पांच महीने का समय शेष है। शासन द्वारा तय पालिसी का हवाला देते हुए इंजीनियर शर्मा ने याचिका दायर की थी।
बीते चार दिनों से राज्य सरकार विभिन्न विभागों के लिए थोक में तबादला आदेश जारी कर रही है। तबादले के लिए थोक में जारी की जाने वाली सूची में राज्य सरकार के अफसर नियम कानून व मापदंड का भी परवाह नहीं कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामला कोरबा नगर निगम का है।
यहां ईई के पद पर पदस्थ इंजीनियर अरुण शर्मा का तबादला बिलासपुर नगर निगम के लिए कर दिया है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा किए गए तबादले को चुनौती देते हुए इंजीनियर शर्मा ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
दायर याचिका में राज्य शासन द्वारा बनाए गए तबादला नीति और मापदंडों को हवाला दिया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाए गई तबादला नीति में साफ उल्लेख है कि, यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल की अवधि शेष है तो उनका अन्यत्र तबादला नहीं किया जाएगा।
याचिका के अनुसार राज्य शासन ने अपनी ही बनाई तबादला नीति का उनके मामले में सीधा-सीधा उल्लंघन किया है। याचिकाकर्ता इंजीनियर ने बताया कि उनके रिटायरमेंट में पांच महीने का ही समय शेष है।
यह जानते हुए भी विभागीय अफसरों ने तबादला कर दिया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा जारी तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को रिटायरमेंट तक कोरबा नगर निगम में अपनी सेवाएं देने की छूट दी है।