IPL की तर्ज पर डीएमएफ में दूसरे जिले के खिलाड़ी,माननीयों के रिपोर्ट कार्ड और शोले वाला हरिराम नाई…ऐसा पहली बार हुआ… जब…एक बेचारा फंस गया यारा… गेस्ट हाउस एडमिन को बेलनी पड़ी रोटी…
इंडियन प्रीमियर लीग की तर्ज पर खनिज न्यास मद में भी दूसरे जिले के खिलाड़ी को शामिल किया गया है। पता नहीं आक्शन में कितनी बोली लगी है पर इससे मनमाफिक रन तो बनाया ही जा सकता है। उधर आईपीएल में लगातार मैच हार रहे मुंबई इंडियन की टीम में सचिन के पुत्र को खिलाने की मांग उठ रही है तो इधर डिस्ट्रिक मिनिरल फंड के कार्यों में सर्वाधिक रन बटोरने के खुद सचिन को कप्तानी सौपा गया है। हालांकि ये वो सचिन की तर्ज पर पीच पर उतरकर खुलेआम रन नहीं बनाते बल्कि ये सचिन ट्राइबल के एक अधिकारी के लिए गोपनीय तरीके से रन बना रहे हैं।
यही वजह है डीएमएफ के कार्यों में मैच फिक्सिंग के आरोप भी लग रहे हैं। खबरीलाल की माने तो सचिन को बाकायदा इसलिए दूसरे जिले से अपॉइंट किया गया है ताकि काम में गोपनीयता बरकार रहे और लोगों को डीएमएफ के कार्यों की स्वीकृति का भनक भी न लगे। कहा तो यह भी जा रहा कि सचिन को मैच जिताने के लिए बाक़ायद सीएसईबी ग्राउंड में उतारा गया है। जिस तरीके से दूसरे जिले के कर्मचारी को अटैच कर डीएमएफ का कार्य कराया जा रहा है, उससे जिले के कर्मचारियों की काबिलियत पर भी सवाल उठ रहा है।
माननीयों के रिपोर्ट कार्ड और शोले वाला हरिराम नाई…
छत्तीसगढ़ कांग्रेस चुनावी मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री उन विधायकों को चेताया है जो अब तक जीत के मुगालते में साढ़े तीन साल तक सत्ता की मलाई खा खाकर छक के मौज कर रहे थे। पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी अपना काम कर दिया। कांग्रेस के करीब 40 प्रतिशत विधायकों के रिपोर्ट कार्ड संगठन तक पहुंच गए हैं।
ऐसे मुख्यमंत्री का ये कहना कि अभी भी समय से सुधर जाएं, अपना परफार्मेंस सुधार लें नहीं तो अगले चुनाव में उनका पत्ता साफ हो सकता है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में वैसे भी गर्मी बढ़ चुकी है, उस पर भूपेश बघेल के तेवर ने माननीयों के चेहरों को पसीने से तरबतर कर दिया है। यानि बाहर भी गर्मी और पार्टी में गर्मी, ऐसे में 40 प्रतिशत कमजोर परफार्मेंस वाले विधायकों की परेशानी बढ़ गई है। ये भी जान लें विधायक का मतलब सिर्फ विधायक नहीं होता मंत्री भी विधायक ही होते हैं।
सीएम के इस बयान के बाद ये विधायक अब उसे चेहरे की खोज में लग गए हैं जिसने उनका रिपोर्ट कार्ड तैयार कर आलाकमान तक पहुंचाया है। यानि…..शोले वाले हरिराम नाई की तलाश!
ऐसा पहली बार हुआ… जब…
2000 में आई फ़िल्म ‘हर दिल जो प्यार करेगा’ का गाना ” ऐसा पहली बार हुआ है … पुलिस विभाग पर फिट बैठ रहा है। क्योंकि ये पहली बार ही हुआ है जब हड़ताल में पुलिस प्रबंधन के साथ खड़ी न होकर श्रमिकों के साथ खड़ी दिखी। अमूमन यह देखने को मिलता है कि पुलिस की ओर ही दिखती है। लेकिन शनिवार हुए आंदोलन में पुलिस अलग चेहरा देखने को मिला और पुलिस के प्रयास की प्रशंसा में ये कहना पड़ा कि ऐसा पहली बार हुआ है … जब खाकी मजदूरों के साथ दिखी।
चर्चा यह भी जा रहा है कि प्रबंधन ने वर्दीवालों के लिए कई तरह के पकवान मंगा रखे थे। जिससे माहौल को पक्ष में किया जा सके, पर वर्दीधारियो ने दिखा दिया कि पुलिस कमजोर लोगो के साथ खड़ी है। मामला प्रदेश के एक बड़े उद्योग घराने का है जहां प्रबंधन के खिलाफ चल रहे श्रमिक आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन पूरे दिन भर अलर्ट रही। हालांकि प्रबंधन ने श्रमिकों के विरोध को देखते हुए प्रोटेक्सन की मांग की थी। पुलिस विभाग के एएसपी से लेकर सभी अधिकारी धरना स्थल पर डटे रहे और श्रमिक और प्रबंधन के बीच सुलह कराने का प्रयास करते रहे। आखिरकार पुलिस का प्रयास रंग लाया और प्रबंधन ने श्रमिकों की मांग मान ली।
एक बेचारा फंस गया यारा… गेस्ट हाउस एडमिन को बेलनी पड़ी रोटी…
देश के एक नामी एल्युमिनियम कंपनी के गेस्ट हाउस एडमिन को उस समय वर्करों की याद सताने लगी जब हड़ताल की वजह से स्वयं को रोटी बेलनी पड़ी। अब एक बेचारा फंस गया यारा… करें तो करें क्या? सिवाय गाना गुनगुनाने के… अलावा कोई चारा भी नहीं बचा। आखिरकार मजदूरों पर हुक्म चलाने वाले साहब ने खाना बनाने का स्वयं जिम्मा लिया और रोटी बेलना शुरू कर दिया। अब साहब का रोटी बेलते बेलते फ़ोटो भी वायरल हो गया करें तो करें क्या? फोटो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद लोग भी मजा लेने लगे…इसी को कहते है। जब समय खराब हो तो ऊंट में चढ़े व्यक्ति को भी कुत्ता काट लेता हैं। जिन मजदूरों के दम पर देश मे राज करने वाले मालिक को आखिर मजदूरों की ताकत का एहसास हो ही गया। वैसे एक बात और मजदूरों के बिना कोई भी कार्य की परिकल्पना करना दिन में सपने देखने जैसा ही है। अंदरखाने की खबर की माने तो श्रमिकों की हड़ताल से प्लांट की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई । हालांकि श्रमिको के साथ सुलह के बाद हड़ताल समाप्त करने की घोषणा पर प्रबंधन ने राहत की सांस ली है।
डिजिटल सदस्यता या फर्जीवाड़ा
प्रदेश के सत्ताधारी दल में डिजिटल सदस्यता अभियान में इनाम पाने की होड़ में जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। डिजिटल सदस्यता अभियान की शुरुआत देश भर में कर दी गई है। इसके लिए एप तैयार कर पार्टी की रीति-नीति से जोन, वार्ड व बूथ के पदाधिकारी लोगों को अवगत कराकर पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे।
जानकारों की माने पार्टी कार्यालय से स्पष्ट निर्देश था की जो सदस्य बनना चाहते है, उन्ही को पार्टी में शामिल किया जाये। इसके लिए सुविधा देने के लिए कार्यालय से कुछ लोगो को एंड्रॉयड मोबाईल भी उपलब्ध कराया गया और सबसे अधिक सदस्य पार्टी में जोड़ने वाले कार्यकर्त्ता को एक निश्चित उपहार देने की घोषणा भी की गई। पुरस्कारों की बौछारों से भीगने के लिए कुछ कार्यकर्त्ता ज्यादा ही उत्साहित हो गए और सर्वे की दुहाई देकर अपने वार्ड के लोगो का फोटो खींचकर डिजिटल सदस्य बना रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी के नए सदस्यों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है उसमें से बहुत तो विपक्षी दल के सदस्य है। ऐसे में पार्टी की डिजिटलीक सदस्यता के आधार पर चुनाव लड़ना पार्टी को भारी पड़ सकता है।