रायपुर/ कोरबा। राज्य प्रशासनिक सेवा (पीएससी) में हुए व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री और रामपुर विधायक नानकीराम कंवर ने एक याचिका बिलासपुर उच्च न्यायालय में दायर की थी। इस मामले में आरोप है कि राजभवन के सचिव व पीएससी के चेयरमैन समेत अनेक बड़े अफसरों ने पद का दुरुपयोग कर अपने बेटा बेटियों में सरकारी नौकरी बांट दी। बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा आज इस केस की सुनवाई करेंगे।
प्रदेश के बड़े अधिकारियों द्वारा ही नियमों को ताक पर रखकर छत्तीसगढ़ पीएससी में बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी बनाने के गंभीर मामले पर लगी विधायक नानकीराम कंवर की याचिका पर बिलासपुर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। पूर्व मंत्री और बीजेपी से रामपुर विधायक ननकीराम ने यह याचिका लगाई है। आज हाई कोर्ट खुलते ही चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे पहला केस लिया। हाई कोर्ट के सूत्रों के अनुसार कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि, कोर्ट ने किसी तरह का फिलहाल स्टे देने की बजाए यथास्थिति रखने कहा है, जैसा कि हाई कोर्ट के गलियारों में चर्चा है। ये भी पता चला है कि आज दोपहर लंच के बाद फिर से इस मामले पर सुनवाई होगी।
रेवड़ी की तरह बांट दिया डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर का पद
ननकीराम कंवर ने अपनी याचिका में राजभवन के सचिव अमृत खलको के बेटा और बेटी के डिप्टी कलेक्टर बनने पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के कई रिश्तेदारों के भी सलेक्शन पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा है कि पीएससी में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने न सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टचार किया गया है।