कोरबा। बरबसपुर जमीन विवाद में आरोप प्रत्यारोप का दौर खत्म होने का नाम नही ले रहा है। शनिवार को भाजपा नेताओं ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष के प्रेस रिलीज पर सफाई दी है।उन्होंने प्रेस वार्ता में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा है कि हमने जमीन 2003 में खरीदी है। इसके बाद भी जिस तरीके से नाम कोड कर प्रेस रिलीज जारी किया गया इससे मैं और मेरा परिवार आहत हुआ है। जमीन में मेरे स्व पिता जी का नाम को दर्शाकर गलत तरीके से प्रेस रिलीज जारी किया। उस पर कांग्रेसियों को माफी मांगना चाहिए।
बता दें कि तिलक भवन टीपी नगर में आयोजित प्रेसवार्ता में जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष गोपाल मोदी ने कहा कि जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) कोरबा के अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने 13 दिसंबर 2022 को विज्ञप्ति जारी कर प्रस्तावित नया ट्रान्सपोर्ट नगर बरबसपुर को लेकर उत्पन्न हुए विवाद में दुर्भावनापूर्वक मेरा नाम जोड़कर मेरी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया है। उन्होने सात वर्ष पूर्व दिवंगत हो चुके मेरे पिताजी और पन्द्रह वर्ष पूर्व दिवंगत मेरी माताजी के नाम को भी विवाद में जोड़ दिया है, और मीडिया / समाचार पत्रों में उनके नाम का प्रकाशन कराया है, जो घोर आपत्ति जनक और निंदनीय है।
कांग्रेस की विज्ञप्ति में मेरी जिस जमीन का उल्लेख किया गया है, खसरा नं. 233/1 243/2 233/3 यह जमीन 20 वर्ष पूर्व मेरे पिताजी ने खरीदी थी। वह जमीन खरीदी गई थी तब नया ट्रान्सपोर्ट नगर बरबसपुर का कोई प्रस्ताव तो क्या किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। उक्त जमीन निजी व्यवसायिक उपयोग के लिए खरीदी गई थी, इसलिए हमारा नाम विवाद में जोड़ना पूरी तरह गलत है। क्योंकि हमारी जिन जमीनों का उल्लेख किया गया है, ये ट्रांसपोर्ट नगर के लिये चयनित क्षेत्र में नहीं आते और वहां से 2 से 3 कि.मी. दूर है।
विज्ञप्ति में उल्लेखित भूमि विरासत में मुझे प्राप्त हुई है। भूमि के वर्तमान रिकार्ड में कहीं भी मेरे दिवंगत माताजी और पिताजी का नाम नहीं है। ऐसी स्थिति में मेरे माताजी और पिताजी के नाम का उल्लेख और मीडिया / समाचार पत्रों में प्रकाशन कराना मेरे लिए पीड़ा दायक है। इससे मेरी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा है और मेरे दिवंगत माताजी और पिताजी का अपमान हुआ है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और कांग्रेस पार्टी इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और विज्ञप्ति जारी कर आरोप का खण्डन कर उसका मीडिया / समाचार पत्रों में प्रकाशन कराये।
कांग्रेस के नेता राजनीति के नाम पर लोगों का चरित्र हनन करते है। ऐसी राजनीति नहीं होनी चाहिये। राजनीति में सुचिता होनी चाहिये। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिये। चरित्र हनन की राजनीति अनुचित है। कांग्रेस के नेताओं को इससे बचना चाहिये, यह मेरा सुझाव है।