कोरबा। डिजिटल युग में भी ग्रामीणों के आँखों में धूल झोंकने का खेल विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में लगातार जारी है। हम बात कर रहे है जिले में मनरेगा के तहत चल रहे भूमि समतलीकरण की। ग्रामीणों की जमीन के समतलीकरण के लिए विधिवत न तो गाँवो में मुनादी कराई जा रही है और न ही ग्राम पंचायतो में हितग्राहियो की सूची चस्पा की गई है। संपूर्ण प्रक्रिया का पालन विधिवत न करते हुए चहेतों को “अँधा बाटे रेवड़ी अपने अपने दे” की तर्ज पर भूमि समतलीकरण दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार सृजित कर ग्रामीणों के जमीनों के समतलीकरण के लिए मनरेगा से प्रति एकड़ 30 हजार स्वीकृत करने का प्रावधान है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण किसान को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही खेत को खेती लायक बनाना है। इस योजना का लाभ पात्र लोगो को देने के लिए गाँवो में आवेदन के लिए मुनादी कराने का नियम है। प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद चयनित हितग्राहियो की सूची ग्राम पंचायत भवन में आम जनता के निरीक्षण के लिए चस्पा करने का प्रावधान है। जिससे प्रथम फेस में छूटे लोगो को दूसरे फेस में मौका मिल सके। इन तमाम नियमो को ताक पर रखकर अपने-अपने चहेतो का गुपचुप तरीके से आवेदन मंगाकर काम स्वीकृत किया जा रहा है। चयनित हितग्राहियों की सूची की जाँच की जाये तो कई हितग्राही ऐसे भी मिलेंगे जिन्होंने कई बार एक ही जमीन का समतलीकरण करा लिया है।
ऐसे होता है चयन
जिला पंचायत मनरेगा शाखा तक आवेदन पहुंचने के बाद सूची तैयार होती हैं। संबंधित जनपद पंचायत के तकनीकी सहायक खेत समतलीकरण का इस्टीमेट तैयार करते है । इसके आधार पर जिला पंचायत से राशि स्वीकृत की जाती है ।
ये होते है पात्र
जिले के सभी अजाजजा वर्ग किसान पात्र होते है । ओबीसी व सामान्य वर्ग के हितग्राही का बीपीएल होना जरूरी है। इनके अधिकतम 5 एकड़ खेत के समतलीकरण की स्वीकृति दी जाती है ।